Jiwan ke rahasya
Arthhin sawalon mein uljha ye bebas man
Kya paaya is jiwan mein
Kya khoya is jiwan mein
Jo hai kya wahi sarvottam hai is jiwan mein
Udherbun mein hai mera man
Ya kuch aur ho sakta tha is jiwan mein
Jiwan mein kai rah mile
Kuch chun yaha tak pahuncha
Kuch aur chun ke kahi aur pahuchta
Mujhko kya pata
Mein to bas raahi hu
Chalna mera kaam hai
Mein kya jaanu
Kal kya hona hai
Jo man mein aaya
Rasta chun liya
Sahi galat kon jaane
Yeh abodh man
Gyan bhi adhoora
Anubhav bhi adhoora
Bin chale kon jaana hai raste ka haal
Tere pair alag hai
Mere kuch aur
Tujhpe kyu viswaas karu
Mera bhi to kuch man hai
Sab kuch tu hi tay kar de
Fir mere liye is jiwan ka kya romanch
Sahi galat mein n sochu
Mein to rahi hu
Mein bas chalna jaanu
Man mein hai anginat sawal
Mein sochu ki mein paurash wala hu
Mein hi sabse uttam hu
Fir bhi mein kyu kuch kam hu
Soch soch ke mera man paresaan
Kuch to karan hoga
Raasta nikalna hoga
Mein kuch aur chun sakta tha
Aur kuch paa leta
Jo saayad isse behtar hota
Par kya hi paa leta
Sab ko ek din kho hi jaana hai
Mitti mein hi mil jana hai
Kya raha hai jo rahega
Jiwan mein hi hai sab kuch
Jiwan ke baad to sab andhkar hai
Sab ke dosh hai yaha
Yaha kon bhagwan hai
Niyati ne kya likha hai
Mujhe nahi gyaan
Mere is jiwan ka arth
Mujhe nahi bhaan
Har raat sochta hu
Har raat vicharta hu
Mera kya prayojan hai is dharti pe
Jiwan mein kya paa sakta tha
Jo ab tak nahi paaya
Kya safalta hai
Kya asafalta hai
Is guthi ko kaise suljhau
Kuch paa lena hi safalta hai
Ya nahi paana asafalta hai
Kuch ban jaana hi safalta hai
Ya kuch nahi banna asafalta hai
Apni maya ke khud hi sikaar
Apne duniya mein khud hi bhagwan
Jaante hue raaston se manjil pana
Ya anjane raaston pe bhatke hue kho jaana
Kisko kya mila is khoj me
Raahi ka man hi bas jaane
Tu kya jaane meri safalta
Tu bas dauraye apne man ka ghoda
Teri duniya ka tu sikandar
Mein apni duniya ka ghalib
Tujhe teri manjil pyaari hai
Mujhe to bas raaston se pyaar hai
Isi udhed bun mein har raat so jaata hu
Har subah uthata hu
Naye sawalon se milta hu
Naya jawabon ko paake hasta hu
Mere liye to yahi jiwan hai
Sawalon ke jawab
Agar dusre se kar du sajha
Ho jata mein gyani
Kahlata anubhav ka sansar
Yahi to darshan hai
Sadiyon se manav ne yahi to kiya hai
Chetna bhi to yahi hai
Maanav hone ka antar bhi yahi hai
Lekin fir bhi mein kahunga
Kuch ko manjil acchi lagti hai
Mujhe to hai bas raaston se pyaar
Tu apna raasta dekh
Mere se mat puch
Yeh jiwan tera hai
Tu hi tai kar tera raasta
Manjil bhi teri
Jiwan bhi tera
Uski khushiyan bhi teri
Uska romanch bhi tera
Tu soch
Tu vichar kar
Apna rasta khud tai kar
Beet jaaye ye jiwan
Par man mein kabhi khed n rakhna ki
Mein wo n paa saka jo mujhe pana tha
Mein wo n kar paya jo mujhe karna tha
Kyunki mein to bas rahi hu
Chalna mera kaam hai
Tujhe manjil ki chah hai
Mujhe raaston se hi pyaar hai
Tu apni duniya ka sikandar
Mein apni duniya ka ghalib
Shristi asimit hai
Hum uske chhote kan
Tu kyu hai
Mein kyu hu
Man mein hai anginat sawal
Jisne banaya wohi jaane
In sawalo ke hal
Mein to rahi hu
Mein bas chalna jaanu
Tu karm kar
Fal ki chinta mat kar
Yaad rakh
Srishti ashimit hai
Tu hai bas ek chhota sa kan
Vidhata hi jaane
Is duniya ka parinaam
To karne de
Jiska jo hai kaam
Tu rahi hai
Bas chalna tera kaam
N raaston ki fikr kar
N manjil ki umeed
Tu bas chal
Leke unka naam
अर्थहीन सवालों में उल्झा ये बेबस मन
क्या पाया है जीवन में
क्या खोया है जीवन में
जो है क्या वही सर्वोत्तम है इस जीवन में
उधेरबुन में उल्झा ये बेबस मैन
क्या पाया है जीवन में
क्या खोया है जीवन में
जो है क्या वही सर्वोत्तम है इस जीवन में
उधेरबुन में है मेरा
या कुछ और हो सकता है जीवन में
जीवन में काई रह मी
कुछ चुन यह तक पहुं
कुछ और चुन के कहीं और पहुचता
मुझको क्या प
में तो बस राही हूं
चलना मेरा काम
में क्या जानू
कल क्या होना
जो मन में आया
रास्ता चुन लि
सही गलत को जाने
ये अबोध आद
ज्ञान भी अधूरा
अनुभव भी अधू
बिन चले कौन जाना है रास्ते का हा
तेरे पैर अलग है
मेरे कुछ
तुझपे क्यों विश्वास करूं
मेरा भी तो कुछ मन
सब कुछ तू ही तय कर दे
फिर मेरे लिए इस जीवन का क्या रोमंचक
सही गलत में एन सोचू
में तो राही
में बस चलना जानू
मन में है अंगिनत सवा
में सोचने की में पौरश वाला हूं
में ही सबसे उत्तम
फिर भी मैं कुछ कम हूं
सोच सोच के मेरा मन परासा
कुछ तो करण हो
रास्ता निकालना होगा
मैं कुछ और चुन सकता
और कुछ पा लेता
जो सैयद इससे बेहतर होता
पर क्या ही पा लेता
सब को एक दिन खो ही जाना
मिट्टी में ही मिल जाना है
क्या रहा है जो रहे
जीवन में ही है सब कु
जीवन के बाद तो सब अंधार है
सब के दोष है
यह कौन भगवान है
नियति ने क्या लिखा
मुझे नहीं ज्ञा
मेरे जीवन का अर्थ है
मुझे नहीं भा
हर रात सोचता हूँ
हर रात विचारता
मेरा क्या प्रयोग है इस धरती पे
जीवन में क्या पा सकता
जो अब तक नहीं पाया
क्या सफला
क्या असफ़लता है
इस गुथी को कैसे सुलझा
कुछ पा लेना ही सफलता
हां नहीं पाना असफ़लता है
कुछ बन जाना ही सफलता
हां कुछ नहीं बनाना असफ़लता है
अपनी माया के खुद ही सी
अपनी दुनिया में खुद ही भगवा
जानते हुए रास्ते से मंजिल पाना
या अंजाने रास्तें पे भटके हुए खो जा
किस्को क्या मिला है खोज में
ये बस अपना मन ही जा
तू क्या जाने मेरी सफलता
तू बस दौराए अपने मन का घोड़ा
तेरी दुनिया का तू सिकं
में अपनी दुनिया का ग़ालि
तुझे तेरी मंजिल प्यारी
मुझे तो बस रस्ते से प्यार है
इसी उधेड़ बन में हर रात तो जाता हूं
हर सुबह उठाता
नए सवालों से मिलता हूं
नया जवाबों को पाके हस्त हूं
मेरे लिए तो यही जीवन
सवालों के जवा
अगर दूसरे से कर दूं
हो जाता में ज्ञा
कहलता अनुभव का संसा
यही तो दर्शन है
सदियों से मानव ने यही तो किया
चेतना भी तो यही है
मानव होने का अंतर भी यही
लेकिन फिर भी मैं कहूंगा
कुछ को मंजिल अच्छी लगती
मुझे तो है बस रास्तों से प्या
तू अपना रास्ता दे
मेरे से मत पु
ये जीवन तेरा है
तू ही ताई कर तेरा रास्ता
मंजिल भी ते
जीवन भी ते
उसकी खुशियाँ भी तेरी
उसका रोमांस भी ते
तू सो
तू विचार क
अपना रास्ता खुद ताई क
चुकंदर जाए ये जी
पर मन में कभी खेद एन रखना की
में वो एन पा सका जो मुझे पाना
में वो एन कर पाया जो मुझे करना था
क्योंकि मैं तो बस राही हूं
चलना मेरा काम
तुझे मंजिल की चाह है
मुझे रस्टन से ही प्यार
तू अपनी दुनिया का सिकंद
में अपनी दुनिया का ग़ालि
सृष्टि असिमित
हम उसके छोटे का
तू क्यों है
में क्यू
मन में है अंगिनत सवा
जिस्ने बनाया वही जाने
सवालो के हाल में
में तो राही
में बस चलना जानू
तू कर्म
फल की चिंता मत क
याद र
सृष्टि अशिमित है
तू है बस एक छोटा सा का
विधाता ही जा
क्या दुनिया का परिणाम है
करने
जिसका जो है का
तू रही है
बस चलना तेरा का
न रास्तों की फ़िक्र
न मंजिल की उम्मे
तू बस च
लेके उनका नाम में है मेरा आदमी
या कुछ और हो सकता है जीवन में
जीवन में काई रह
कुछ चुन यह तक पहुंचा
कुछ और चुन के कहीं और पहुच
मुझको क्या पता
में तो बस राही हूं
चलना मेरा काम
में क्या जानू
कल क्या होना
जो मन में आया
रास्ता चुन लि
सही गलत को जाने
ये अबोध आद
ज्ञान भी अधूरा
अनुभव भी अधू
बिन चले कौन जाना है रास्ते का हा
तेरे जोड़ी अलग है
मेरे कुछ
तुझपे क्यों विश्वास करूं
मेरा भी तो कुछ मन
सब कुछ तू ही तय कर दे
फिर मेरे लिए इस जीवन का क्या रोमांस
सही गलत में एन सोचू
में तो राही
में बस चलना जानू
मन में है अंगिनत सवा
में सोचने की में पौरश वाला हूं
में ही सबसे उत्तम
फिर भी मैं कुछ कम हूं
सोच सोच के मेरा मन परासा
कुछ तो करण हो
रास्ता निकालना होगा
मैं कुछ और चुन सकता
और कुछ पा लेता
जो सैयद इससे बेहतर होता
पर क्या ही पा लेता
सब को एक दिन खो ही जाना
मिट्टी में ही मिल जाना है
क्या रहा है जो रहे
जीवन में ही है सब कु
जीवन के बाद तो सब अंधार है
सब के दोष है
यह कौन भगवान है
नियति ने क्या लिखा
मुझे नहीं ज्ञा
मेरे जीवन का अर्थ है
मुझे नहीं भा
हर रात सोचता हूँ
हर रात विचारता
मेरा क्या प्रयोग है इस धरती पे
जीवन में क्या पा सकता
जो अब तक नहीं पाया
क्या सफला
क्या असफ़लता है
इस गुथी को कैसे सुलझा
कुछ पा लेना ही सफलता
हां नहीं पाना असफ़लता है
कुछ बन जाना ही सफलता
हां कुछ नहीं बनाना असफ़लता है
अपनी माया के खुद ही सी
अपनी दुनिया में खुद ही भगवा
जानते हुए रास्ते से मंजिल पाना
या अंजाने रास्तें पे भटके हुए खो जा
किस्को क्या मिला है खोज में
ये बस अपना मन ही जा
तू क्या जाने मेरी सफलता
तू बस दौराए अपने मन का घोड़ा
तेरी दुनिया का तू सिकं
में अपनी दुनिया का ग़ालि
तुझे तेरी मंजिल प्यारी
मुझे तो बस रस्ते से प्यार है
इसी उधेड़ बन में हर रात तो जाता हूं
हर सुबह उठाता
नए सवालों से मिलता हूं
नया जवाबों को पाके हस्त हूं
मेरे लिए तो यही जीवन
सवालों के जवा
अगर दूसरे से कर दूं
हो जाता में ज्ञा
कहलता अनुभव का संसा
यही तो दर्शन है
सदियों से मानव ने यही तो किया
चेतना भी तो यही है
मानव होने का अंतर भी यही
लेकिन फिर भी मैं कहूंगा
कुछ को मंजिल अच्छी लगती
मुझे तो है बस रास्तों से प्या
तू अपना रास्ता दे
मेरे से मत पु
ये जीवन तेरा है
तू ही ताई कर तेरा रास्ता
मंजिल भी ते
जीवन भी ते
उसकी खुशियाँ भी तेरी
उसका रोमांस भी ते
तू सो
तू विचार क
अपना रास्ता खुद ताई क
चुकंदर जाए ये जी
पर मन में कभी खेद एन रखना की
में वो एन पा सका जो मुझे पाना
में वो एन कर पाया जो मुझे करना था
क्योंकि मैं तो बस राही हूं
चलना मेरा काम
तुझे मंजिल की चाह है
मुझे रस्टन से ही प्यार
तू अपनी दुनिया का सिकंद
में अपनी दुनिया का ग़ालि
सृष्टि असिमित
हम उसके छोटे का
तू क्यों है
में क्यू
मन में है अंगिनत सवा
जिस्ने बनाया वही जाने
सवालो के हाल में
में तो राही
में बस चलना जानू
तू कर्म
फल की चिंता मत क
याद र
सृष्टि अशिमित है
तू है बस एक छोटा सा का
विधाता ही जा
क्या दुनिया का परिणाम है
करने
जिसका जो है का
तू रही है
बस चलना तेरा का
न रास्तों की फ़िक्र
न मंजिल की उम्मे
तू बस च
लेके उनका नामलदकरममदेनेनखर कर हूलहूनहैबरहै हैथावनररचरारारीछखरहैहैहैरनीब हैहूंहैबदरनेनानकरहैहैईहैहै हुननहैयहछगाहैहै थागानहूंलहूहैहैऔरलरामीयाहै हैतामीललदकरममदेनेनखर कर हूलहूनहैबरहै हैथावनररचरारारीछखरहैहैहैरनीब हैहूंहैबदरनेनानकरहैहैईहैहै हुननहैयहछगाहैहै थागानहूंलहूहैहैऔरलरामीयाहैहैताचाल मन मन
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