Tu mar kyu nahi jaata
मौत मुझसे सवाल करती है
तू जिंदा क्यू है
तू तो कब के मर चूका
क्यूँ धरती का बोझ बढ़ा रहा ||
तू नपुंसक है
तेरी बहन असुरक्षित है
शर्म में डूब क्यूँ नहीं जाता
आख़िर तू मर क्यूँ नहीं जाता||
मैं चुप हूं
मेरे पास कोई जवाब नहीं||
अब मेरे जीवन का कोई अर्थ ही नहीं
मृत्यु से भी मोक्ष नहीं
मुक्ति की भिक्षा माँगता हूँ
मैं पुरुष कहलाने लायक नहीं||
अगले जन्म में मानव देह न देना
पशु होने पर भी अपमान है||
मैं जिंदा आखिर क्यूँ हूं
मैं मर क्यूँ नहीं जाता||
रूपेश रंजन
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