Bas itni hi khalish hai...
तू बस जीने की बात करता है
कभी मरने की भी बात कर न
तू बस पाने की बात करता है
कभी खोने की भी बात कर न
जी कर ही सब कुछ कहा मिला है
कभी मर के भी देख न
क्या कुछ नहीं मिला है
पा के ही सब कुछ कहा मिला है
कभी खो भी देख न
क्या सुकून मिला है...
तू नहीं समझता मुझे
इसमें मेरी क्या गलती है
तू खुद को भी नहीं जानता
बस इतनी ही खलिश है...
तुझे जाना है
जा न ||
अब तक तो थी
पर कहाँ थी ||
तू जा न
कहीं तो जा||
पता तो चले
तू सच में थी कहा...
अब तक तो तू थी
तो बेहतर था||
सब कुछ भरा-भरा था
कहीं खलीपन नहीं||
अब तू जा
देखना है मुझे||
कि तू बेहतर थी
या मेरा अकेलापन||
नफ़रत होती है मुझे
तेरे मोहब्बत से||
क्योंकि प्यार हो गया है मुझे
अपने अकेलेपन से||
बस तू अब आना मत कभी
नहीं देखना मुझे तुझको||
कि अँधेरा कैसा होता है
जागने वालो के लिए||
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