Fir saam akeli hai
फिर ये शाम अकेली है
सालों बाद फिर में अकेला हूं
किसी का साथ मिला था
पर वो बस धोखा था
चली गई वो अपने रास्ते
मैं रह गया अपनी यादों के वास्ते.
कोशिश थी उसे अपना बना लू
पर उसे थी किसी और की तलाश
लाख समझाया उसे
पर आख़िर रुकती क्यू वो
उसके दिल में कुछ और था
मैं उसके लिए बस एक पड़ाव था..
गुज़र गया वक़्त
बढ़ गया कारवां
निशान अब भी है
मेरे जख्मी रूह पे|
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