Chhoti chhoti shayari

 बहुत दिन हो गए हैं तुमसे मिले

बहुत दिन

मिलने को मन कर रहा है

बहुत ज़्यादा

फ़कत दुनिया ही छोड़ देते है

क्यू इतना जलना जलाना||


तड़पता हु

लाजिम है

इश्क है जो तुमसे

फ़ना कर दो मुझे

क्यू इतना जलना जलाना||


तुझे इश्क है

मैं कैसे मान लू

कल रात से चाँद नहीं आया

और तू कहती है कि तू बेवफा नहीं है||


तेरे सहर से गुज़रता हूँ

लोग पहचानते हैं

बदनाम आशिक हूं

और बरबाद भी

मैं कोई पहला नहीं

पूरा सहर बाकी है||





आदत से मजबूर हूँ

रात युही बिताना

चांद को अकेला कैसे छोड़ दूं

कितनो की नज़र है उसपे||



आदत से मजबूर हूँ

रात युही बिताना

चांद को अकेला कैसे छोड़ दूं

चकोर की नज़र है उसपे||




जालिम हु मैं

 जानता हूँ

अकेले छोड़ दिया है तुझे

अँधेरे रात में

चाँद की नज़र है तुझपे

और तू बेवफा नहीं है

कितना मुश्किल है

कुयें के रहते भी प्यासे रह जाना||




तू आ सकती है तो आ जा

जमाने से क्या डरना

लॉग हसेंगे तो हसने देते हैं

परिन्दो को इंसानो से क्या लेना देना

वो ज़मीन के हैं और हम आसमां के

वो रेंगते हैं और हम उड़ते हैं||







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