Tasavvur hai mera
तसव्वुर है मेरा
दुनिया खाक में मिल जाएगी|
और खाक हो जाये ये दुनिया
मुझे क्या
दर्द से लिपटी हैं लाशें
आसुओं का कोहराम है|
फ़िज़ा में ख़ून है|
झूठ सच के लिबास में है|
नफ़रत आदत है
और प्यार बाज़ार में|
वफ़ा नंगा है
और कत्ल का शौक है|
जिस्म खिलोना है
और सब खेलने को तैयार हैं|
शर्म अफ़सोस है
और नुमाइश बेजोर है|
सहर और सहर ही है
गांव तो नजर का दोष है|
रुकना नहीं है
रोंद के निकल जाना है|
सोचना नहीं है
अखलाक भूलने की बात है|
उम्मीद ख़तम है
और नशे का कारोबार है|
आज़ादी तो बहाना है
खुद को सही ठहराना है|
कुछ मगरूर है
और ज़्यादा मजबूर है|
इंसानियत शर्मसार है
और जनाजे अंधी दौर में है|
धर्म खेल है
और राजनीति अखाड़ा|
सब खुश हैं और
उतने ही परेशान|
दौरते रहते हैं
और मंजिल मिलती ही नहीं है|
कहने को जिंदगी है
पर मौत भी बेहतर है|
हवा में बेचनी है
और रूह को सुकून की तलाश|
ख्वाब ही ख्वाब है
और हक़ीक़त भरमाया हुआ|
तेरी आखें बंद है
इसलिए थोड़े रात है|
पूछता है इंसान
खुदा तू कौन है??
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