तोसे नैना मिले

 इतना मत सता

कि मर ही न जाऊं कहीं

चाहती हूँ तुझे

मेरी कोई मजबूरी नहीं

इतना सितम ढाते हो मुझपे

इतना इंतज़ार कराते हो मुझसे

कि कभी चाँद ही नहीं आया

और तुम जिद पे अरे रहे||

रूपेश रंजन


कैसे छूऊ तुझे

तू ही बता ना

मैं जो छूऊंगा

जमाने की दुहाई देगी

खुदा मुझे हवा ही बना दे

तुझे छू तो लू

कुछ पल के लिए ही

सुकून तो पा लूं

पानी बना दे अली

तू लब से छू तो ले जरा

जमीं बना दे मेरे रसूल

तेरे पैरों को चूम तो लूं जरा

कैसे मिलेगी तू मुझे

मेरे दिल को समझा दे जरा

नहीं मानता है दिल मेरा

तुझे छूने को चाहता है मन मेरा||

रूपेश रंजन



मयस्सर हो तेरी एक नज़र

मर जाऊंगा मैं

जीना नहीं है मुझे

तेरे बिन

ये दुनिया है तो बस तेरे नाम से

बिन तेरे रुक्सत हो जाऊंगा

मैं यहाँ से

जीता हूं बस तेरे एक नजर के खातिर

वरना मरने के बहाने मेरे पास कोई कम नहीं

याद रख

बेशक तू जी ले अपनी जिंदगी

मैं मायुस नहीं

मुझे दर्द है

पर अफ़सोस नहीं

चाहा है तुझे

जितने की कोई कोशिश नहीं

बस एक नज़र करम कर दे

वरना यहाँ से बीत जाने में मुझे कोई हर्ज़ भी नहीं||

रूपेश रंजन



तोसे नैना मिले

भोर आ गई

रात कैसे बीती

ओ रे सखी

विरहन की रात

कैसे बताऊं तुम्हें

पिया मन भाऊ

सोच सोच के

मैं सुध बुध खोई

रात भारी लगे

करवट बदल बदल के रात बिताई

जैसे शरीर में कांटे लगे

दर्द की मिश्री मन में छायी

फिर से नैना मिल जाए

सुबह और शाम

मैं सकुचाति रहूँ

वो यू ही निहारते रहे

कोई ना कोई

बहाने मेरे पास आये

मुझे यू ही एकटक देखे

और मैं यूही शरमाऊं||

रूपेश रंजन

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