कृष्ण भी मीरा

दर्द भी मीरा

प्रेम भी मीरा

तड़प भी मीरा

कृष्ण भी मीरा

क्या पाया तुने

बता मीरा

कृष्ण का नाम न लेना

वो निर्दयी

नहीं आया लेने तुझे

तू कह दे

तूने जीवन पाया

अपनी मर्जी का जीवन पाया

अपनी ख़ुशी के लिए जीवन जिया

जिसे चाहा

उसके लिए जिया

प्रेम के लिए जिया

बिना स्वार्थ के प्रेम के लिए जिया

पर राधे का नाम न लेना

वह निष्ठुर

तेरे लिए एक बार भी नहीं आया

तेरे रिश्ते को नाम तक नहीं दिया

तुझे बदनाम कर के चला गया||

रूपेश रंजन



इश्क ही क्या

जो रूह को न छुए

जिस्म को तो

हवाएं भी छू लेती हैं

तू मिल जाए

और मुझ तक न आये

इस से बेहतर है

तू चली जाए

आई हो तो

अंदर तक समाओ

इश्क ऐसा हो

कि मैं पूरा हो जाऊं

अन्दर तक उतर जाओ

की मैं खुदा ही बन जाऊ||

रूपेश रंजन






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