इतना मत तरसा
इतना मत तरसा
की प्यास ही मर जाये
कल तू मिलना भी चाहे
तो मैं किसी और किनारे पे मिलूं
सोच ले
वक़्त ही है
मैं नहीं
जो रुकेगा
जिधर रास्ता मिलेगा
उधर ही फिसलेगा||
रूपेश रंजन
इतना मत इंतज़ार करवा
की तेरा इंतज़ार ही न रहे
कल तू मिलना भी चाहे
तो मैं भी वक्त का ही दुहाई दूं
याद रख
कोई नहीं रुकता यहाँ किसी के लिए
तू खुद किस्मत है
जो रुका हूं मैं तेरे लिए
सुबह के बाद शाम
और शाम के बाद रात
ऐसे ही वक्त बदलता है
कुछ भी नहीं रुकता है
इतना मत इंतज़ार करवा
की तेरा इंतज़ार ही न रहे||
रूपेश रंजन
प्रेम ताक़तवर है
हर कोई डरता है प्रेम से
प्रेम क्रांति है
प्रेम विद्रोह है
बनाए गए ढकोसलों के खिलाफ
रूढ़िवादी मान्यताओं के ख़िलाफ़
प्रेम सत्य के लिए मजबूर करता है
प्रेम समाज के झूठ का पर्दाफाश करता है
प्रेम परिवर्तन चाहता है
प्रेम प्रश्न पूछता है
प्रेम समाज को असहज करता है
इसलिए ही समाज नफ़रत करता है प्रेम से
समाज डरता है कि प्रेम उसके प्रभुत्व को ही ख़त्म न कर दे
इसलिए ही समाज प्रेम को कुचलता है
सदियों से कर रहा है
और आज भी पूरे जोर से प्रेम के दमन में लगा है||
रूपेश रंजन
जो मुझे पसंद था
वो मुझे मिला ही नहीं
जो मुझे पसंद है
वो मुझे नहीं मिल रहा
जो मुझे पसंद होगा
वो भी मुझे नहीं मिलेगा
ऐसा ही होता आया है
ऐसे ही हो रहा है
ऐसे ही होता रहेगा
मोहब्बत का रास्ता ही कुछ ऐसा है
रास्ता तो पता है
मंजिल को कोई ठिकाना नहीं
उम्मीद ही मोहब्बत का सबसे बड़ा दुश्मन है
देना ही इश्क है
कुछ पाना नहीं||
रूपेश रंजन
सत्य क्या है
प्रश्न अब भी वही है
मैं कौन हूं
बड़ा ही जटिल प्रश्न है
सब लगाव है
सब बंधन है
मैं छोड़ नहीं रहा
कि संसार मुझे नहीं छोड़ रहा
छोड़ते तो अब तक मुक्त हो गए होते
सत्य के समीप होते
आसान है
इसलिए फंस गए हो
बाहर निकले ही नहीं
सत्य से अभी भी दूर हो
माया से घिरे हो
आवरण हटाओ
सत्य से मिलो||
रूपेश रंजन
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