इस कदर टूट चुका हूँ मैं

इस कदर टूट चुका हूँ मैं

कि फिर जुड़ न पाऊंगा

इतनी छोटी जिंदगी है

इतने धोखे कैसे झेल पाऊंगा

दर्द दिया है इतना गहरा

कि जख्म न भर पाएगा

बेवफ़ाई सह भी लू

तेरी रुसवाई कैसे सहूं

बस दिल नहीं तोड़ा है तुमने

उम्मीद ही छीन ली है

तेरे जाने का आलम कुछ ऐसा था

की जिंदा कैसे रह पाऊंगा

सच कहता हूँ मर ही जाऊंगा||

रूपेश रंजन




मृगमरीचिका हूँ मैं 

दूर से लगता हूँ पानी

लेकिन रेत हूं

नहीं मिलूंगा तुझे

कितना भी पास आ जा

कितना भी दौड़ लगा ले

हमेशा दूर ही पाएगी

याद रख

पाना हमेशा इतना आसान नहीं होता

सब कुछ पाया भी नहीं जा सकता

हर किसी चीज़ की कीमत होती है

बिना चुकाये नहीं मिलेगी||

रूपेश रंजन



दर्द ही दर्द

दर्द के सिवा क्या पाया मैंने

सोचता हूँ हर रोज़

तुम से ही दिल लगाया क्यू

सहर इतना बड़ा है

तेरे गली से ही गुज़रा क्यू

सपना तो सपना होता है

हकीक़त उसे माना क्यू

मोहब्बत जहर है

जानता था मैं

फिर भी गले से लगाया क्यू

कोई जवाब नहीं है मेरे पास

मत कहना मुझसे

ये सवाल अब पूछ रहा हूं क्यूं||

रूपेश रंजन



भुला न सकोगे

बार-बार याद करोगे

क्यू जाने दे रहे हो

बाद में बहुत पछताओगे

कितना भी बुलाओगे

मैं लौट के ना आ पाऊंगी

आज तुम्हारी हूँ

कल किसी और की हो जाउंगी

रूपेश रंजन

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