आ जाओ मेरे पास

आ जाओ मेरे पास

क्यू रुकी हो अब तक

चाहती हो इतना

तो डर है किसका

लोग क्या कहेंगे

इतना मत सोचो

जो दिल में है

बस कर डालो||

रूपेश रंजन



सब छूट जाते हैं

तुम भी छूट जाओगे

जानता हूँ मैं

पर ऐसे मुँह मत फेरो

जैसा जानते ही नहीं हो

बुरा लगता है

दर्द होता है

जब अपना कोई मुँह मोड़ लेता है||

रूपेश रंजन



बहुत बुरा लगता है

जब आप किसी चीज़ के लायक हो

और वो चीज़ आपको मिलती नहीं है

हो सकता है भगवान की भी गलती हो

वो भी न्याय नहीं कर पा रहे हो

किस्मत को दोष देना ठीक तो नहीं है

वीरो को नहीं शोभता है ये

पर कोई तो वजह होगी

कर्ण बनने के पीछे||

रूपेश रंजन



It feels so bad

when you deserve something

and you don't get that thing. 

Maybe even God is at fault

Even he is not able to do justice. 

It's not right to blame fate. 

This is not befitting for a warrior. 

But there must be a reason

behind the making of Karna. 

Rupesh Ranjan



क्यूँ चाहिए तुम्हें आज़ादी

बेवफाई के लिए

मयस्सर नहीं होता इस जहां में

एक भी दिल से चाहने वाले

तुम जिसे  बेबाकी समझती हो

असल में डर है तुम्हारा

डरती हो प्यार से

क्योंकि खुद पर भरोसा नहीं है

वरना क्या किसी का मजाल

कि मुझे चाँद को छूने से रोक ले

परिंदे उड़ते ही हैं अम्बर में

पर घोसला तो उनका भी होता है

शाम को वो भी लौट आते हैं

कहां देखा है किसी परिंदे को

दूसरे के घोषले में||

रूपेश रंजन



साबित तो वही हुआ

जो मैं कहना चाहता था

सच को क्यू करे स्वीकार

अगर सच है वो तो

आभासी दुनिया ही बेहतर है मेरे लिए

शायद मैं उमर से थोड़ा पीछे हूं||

रूपेश रंजन



नहीं मानूंगी मैं

वही करूंगी जो लगेगा ठीक

तुमको जो समझना है

समझो

मैं तो परिंदा हूं ना

मैं तो बस उडुंगी

तुम देखो अपना

मेरे साथ उड़ोगे

या ज़मीन से ही देखोगे मुझे

मेरे पास वक्त है अभी

मैं जी लेना चाहती हूँ||

रूपेश रंजन



कौन समझाए तुम्हें

रचनात्मकता अच्छी तभी लगती है

जब उसका कोई आधार हो

आधारहीन रचनात्मकता नहीं टिकता ज्यादा देर

तेरे सपने तब ही सच होंगे

जब होगी हौसलों से भरी उड़ान

बस चाहने से कोई नहीं उड़ता

उड़ता है बड़े इरादों से||

रूपेश रंजन


प्रेम तो है ही

तभी तो फ़र्क पड़ता है

लेकिन

थोरा जिद्द भी है

उमर का असर भी

नहीं तो

क्यू होती दुर अब तक

सच को जानके भी

क्यू पिछे हटती हूं आज तक||

रूपेश रंजन


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