मैं यहाँ हूँ क्यू

 सवाल ही सवाल है

जवाब एक भी नहीं

मैं यहाँ हूँ क्यू

जरुरत क्या है मेरी

आख़िर कर क्या रहा हूँ मैं यहाँ

क्यू जन्म लिया मैंने

क्यू अब तक नहीं मरा हूँ

जो चले गए क्यू थे यहाँ

क्यू मेरे से पहले चले गए

मैं कब जाउंगा छोड़ के दुनिया

दुनिया कब छोड़ के जायेगी

सब ख़त्म क्यू नहीं हो जाता

आख़िर है भी दुनिया तो किसके लिए

सवाल ही सवाल है

जवाब एक भी नहीं

जीवन क्या है

और क्यू है जीवन

जीवन के बाद क्या है

जीवन के पहले क्या है

सब है

सब नहीं भी है तो क्या है

जीवन है तो दर्द है

जीवन नहीं तो दर्द नहीं

कैसे कहूँ

कुछ पता नहीं

सब पत्थर ही होते 

कुछ भी होते

मानव नहीं होते

जीवन नहीं होता

मैं नहीं होता

मैं शायद कुछ और होता

मैं कुछ भी होता

बस जीवित नहीं होता... 

रूपेश रंजन

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