मोहे चमरी खा जा रे

 मोहे चमरी खा जा रे

खा जा रे 

मुझे भी खा जा रे

तेरा पेट भर गया 

बोल ना

भर गया पेट तेरा

पिछे पड़ा है

जीने नहीं देगा क्या

बोल ना

आख़िर

क्या चाहिए तुझे

बोल ना 

छू ले

चाट ले

हां खा ही जा

मेरे सारे बोझ को

कर ले वो सब

शांति जिससे मिल जाए तुझे

ऊर्जा का क्षरण

शांति और संतोष

मिला है किसे

कौन समझाए तुझको

चली गई मैं

छोड़ के तेरी दुनिया

अब क्या करेगा रे

किसी और को खाएगा

सबको खा ले

फिर बचेगा क्या

तेरी माँ और तेरी बहना

उसे भी खा जा

कर दे सब ख़त्म

तेरी ही दुनिया है

जो ठीक लगे कर ले

नर पिसाच या जानवर

राक्षस या पागल

जीवन यहीं है तेरे लिए

जी ले

मुझे तो मुक्ति मिल गई

एक असहनीय दर्द और संघर्ष के बाद भी

तुझे क्या मिलेगा

मृत्यु से भी बदतर जिंदगी.. 

रूपेश रंजन

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