रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखित "रेड ओलियंडर्स" की समीक्षा..

रेड ओलियंडर्स (मूल बंगाली में रक्त करबी) रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित एक प्रतीकात्मक नाटक है, जो स्वतंत्रता, व्यक्तिगत पहचान, और औद्योगिक और तानाशाही व्यवस्था के अमानवीकरण जैसे विषयों को उजागर करता है। यह नाटक 1924 में लिखा गया था और आज भी टैगोर के सबसे प्रसिद्ध कार्यों में से एक है। इसमें औद्योगिकीकरण और मानव श्रम के शोषण के प्रति टैगोर की गहरी चिंता स्पष्ट होती है।


कथा का सार


इस नाटक की कहानी एक काल्पनिक स्थान "यक्षपुर" में घटित होती है, जहाँ एक अज्ञात राजा अपने कर्मचारियों को भूमिगत खदानों से संपत्ति निकालने के लिए बाध्य करता है। इस निराशाजनक स्थिति में सभी मजदूरों का नाम हटा दिया गया है और वे केवल संख्याओं में तब्दील हो गए हैं। इस कठोर माहौल में नंदिनी, एक जीवंत और निर्भीक युवती, स्वतंत्रता, सौंदर्य, और प्रकृति की प्रतीक बनकर प्रवेश करती है। उसका आगमन इस दबे हुए वातावरण में बदलाव का संकेत देता है, और मजदूरों के भीतर स्वतंत्रता और गरिमा की भावना को जगाने का काम करता है।


प्रमुख विषय और प्रतीकात्मकता


रेड ओलियंडर्स में गहरी प्रतीकात्मकता है। लाल ओलियंडर का फूल अपनी चमकदार सुंदरता के साथ जीवन, स्वतंत्रता और प्रकृति की ताकत का प्रतीक है। टैगोर इस प्रतीक को एक बंजर और औद्योगिक भूमि के विरोध में प्रस्तुत करते हैं, जो औद्योगिकीकरण और लालच के विनाशकारी प्रभाव को दिखाता है।


राजा का चरित्र उस बेजान, नियंत्रित सत्ता का प्रतिनिधित्व करता है जो अपने लोगों को अमानवीय बना देती है। नंदिनी का किरदार इस व्यवस्था के खिलाफ एक बगावत का प्रतीक है, जो डर से परे जाकर साहस और आशा की भावना को साकार करती है।


प्रमुख उद्धरण


यहाँ रेड ओलियंडर्स के कुछ महत्वपूर्ण उद्धरण दिए गए हैं जो इसकी गहराई को व्यक्त करते हैं:


1. नंदिनी का विद्रोही स्वभाव:

"हम इस डर की बेड़ियों में क्यों जकड़े रहें? मुझे जीवन से प्रेम है, और मैं जीना चाहती हूँ! मुझे स्वतंत्रता चाहिए!"

इस पंक्ति में नंदिनी के जीवन के प्रति प्रेम और निर्भीकता दिखती है। उसके शब्द उस ठहराव और अंधकार को चुनौती देते हैं जिसमें वह घिरी हुई है।





2. राजा का शक्ति पर विचार:

"मुझे अपनी ही शक्ति से डर लगता है। यह धन, यह राज्य—सब मुझे एक जेल की तरह लगता है, पर मैं इससे बाहर नहीं निकल सकता।"

यहाँ टैगोर सत्ता का विरोधाभास दर्शाते हैं: राजा, जो सर्वशक्तिमान है, अपने ही लालच और सत्ता के कारण एक कैदी महसूस करता है। यह पंक्ति उस खोखलेपन को दर्शाती है जो केवल भौतिक संपत्ति प्राप्त करने में रहता है।





3. नंदिनी का मजदूरों को संदेश:

"तुम केवल संख्याएँ नहीं हो; तुम इंसान हो, जिनके सपने और इच्छाएँ हैं। इसे उनसे छिनने मत दो।"

यह उद्धरण नंदिनी की क्रांतिकारी भावना को दर्शाता है, जो मजदूरों को उनकी अपनी मानवता का एहसास दिलाने का प्रयास करती है, ताकि वे स्वयं को केवल मजदूर न मानें।






आलोचना और प्रभाव


रेड ओलियंडर्स को इसकी काव्यात्मक शैली और गहराई के लिए सराहा गया है। हालाँकि इसके प्रतीकात्मकता पर कुछ आलोचना भी हुई है, फिर भी इसकी सूक्ष्म दृष्टि और प्रभावशाली भाषा ने इसे समय के साथ और प्रासंगिक बना दिया है।


इस नाटक की लोकप्रियता इसकी सार्वभौमिकता में है; सत्ता और औद्योगिकीकरण के अमानवीकरण के प्रभाव आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने टैगोर के समय में थे। नंदिनी के रूप में टैगोर एक अदम्य साहस और प्रेरणा का प्रतीक प्रस्तुत करते हैं, जो स्वतंत्रता की आवश्यकता और दमनकारी व्यवस्थाओं के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित करता है।



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