दिल एक परिंदा है(2)

 दिल एक परिंदा है


दिल एक परिंदा है, बेखौफ, आज़ाद,

सपनों के जंगल में ढूंढे अपनी फरियाद।

खुले आसमान को ताके, हर पल ये झूमे,

नदी-सी बहती उम्मीदें, पहाड़ों को चूमे।


हर धड़कन में इसकी छुपा है एक गीत,

आसमान छूने की है इसमें असीम प्रीत।

ना जंजीरों का डर, ना बंधन का बोध,

हर सुबह के संग ये खोजे नई प्रेरणास्रोत।


पंखों में बसाया है तूफानों का हौसला,

घरोंदे में बुना है सपनों का इंद्रधनुष वाला।

कभी रुक जाए शाखों पर थकान मिटाने,

तो फिर नई उड़ान भरने के बहाने।


बादलों के पार की दुनिया देखनी है,

चमकते तारों की रोशनी समझनी है।

चाहे कितनी भी मुश्किलें हों राहों में,

ये परिंदा सिखा देता है जीत हारों में।


कभी सुनसान वादी में गूंजे इसकी पुकार,

कभी खुशबुओं से भर जाए इसका संसार।

धड़कनों की सरगम पर करता है नृत्य,

हर दिशा में खोजता है जीवन का सत्य।


सपनों के परों से ये उठता है हर बार,

गिरकर भी न हारता, रहता तैयार।

दर्द की बारिश हो या खुशियों का मेघ,

दिल का ये परिंदा, हमेशा रहे निर्भय।


इश्क के बाग़ में जब खिलें सुर्ख फूल,

हर याद के संग गाता मीठे रस के गीत।

पर कभी बिछड़ने का दर्द जब इसे सताए,

तो चुपचाप शाखों पर अकेला इसे पाए।


परिंदा ये जानता है कि पिंजरे से दूर,

है आसमान के नीचे खुला अपना नूर।

हर दर्द को सहकर भी, उड़ने को तत्पर,

दिल का ये परिंदा है, सदा के लिए अमर।


तो चलो, इस परिंदे के संग ऊंचा उड़ें,

सपनों को छूने का साहस न कभी छोड़ें।

दिल एक परिंदा है, ये सिखाता है हमें,

उड़ने की हिम्मत, और अपने दिल को समझने।


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