फ़ासलों के पार

 फ़ासलों के पार


सितारों में अब राज़ छुपा नहीं,

तेरी साँसों की ख़्वाहिश में खोया कहीं।

तेरी आवाज़, धीमी, नरम सी,

ख़ामोशियों में भी आहट तुम्हारी मिली।


मेरी उंगलियाँ तुझ तक पहुँचेंगी,

इस चाह में बेताब मैं जल रही।

आँखें बंद करूँ तो तू पास लगे,

रात की ठंडी हवा में जैसे आग जले।


तेरे होंठ, तेरी खुशबू, मुझसे दूर सही,

हर धड़कन में तू ही तू बसा ।

एक आग है जो बुझती नहीं,

तेरी हसरतों में ही मैं सिमटी।


फासले चाहें हों गहरे जितने,

दिल में तेरा एहसास सजीव रहे।

ऐसा प्यार कभी छूटेगा नहीं—

तुझसे बंधी हूँ, अब ताउम्र सही।


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