रामायण के आदर्श नायक श्रीराम
1. जन्म अवध में लीला रचाई,
कोसलेश के घर अवतार,
धन्य हुई अयोध्या नगरी,
जिसमें जन्मा श्रीराम सार।
2. चारों भाइयों संग पला,
प्रेम और स्नेह का संग,
धर्म और नीति के पथ पर,
श्रीराम का जीवन अभंग।
3. माता-पिता का आदर किया,
सदा उनके वचन निभाए,
राजमहल छोड़ वन चले,
धर्म को अपने सिर चढ़ाए।
4. तेरा मेरा भेद न देखा,
प्रेम का संदेश दिया,
गुरु वशिष्ठ से शिक्षा पाई,
जीवन का उद्देश्य सिखा।
5. माता कैकेयी के वचन को,
राजा दशरथ ने निभाया,
राम ने वनवास स्वीकारा,
कर्म के धरती पर समर्पण लाया।
6. लक्ष्मण-सिया संग चले वन को,
धीरज और संकल्प में अडिग,
तप और त्याग का सुमेरु,
बन गए श्रीराम समर्पित।
7. दंडक वन में प्रवास किया,
निश्छलता का परिचय दिया,
वहां के संतों की रक्षा कर,
राक्षसों से युद्ध किया।
8. सुग्रीव मित्रता निभाई,
वाली का वध किया,
सच्चे मित्र का साथ पाकर,
राम ने संकल्प पूरा किया।
9. सीता के वियोग में,
वन-वन खोजा उन्हें,
हनुमान की मित्रता से,
सीता का संधान किया।
10. समुद्र को पार किया,
लंका की धरती पर चले,
रावण के अभिमान को,
अपने पराक्रम से छले।
11. विभीषण को अपनाया,
धर्म का पाठ सिखाया,
राक्षसों में भी अच्छाई है,
यह संदेश दे दिखलाया।
12. लंका पर चढ़ाई की,
रावण का अंत किया,
अधर्म के नाश हेतु,
अपने धर्म का बोध दिया।
13. अग्नि परीक्षा में सीता ने,
अपनी शुद्धि प्रमाण की,
राम ने उन्हें अपनाया,
सच्ची नारी का मान की।
14. वनवास पूर्ण कर,
अयोध्या को लौटे राम,
प्रजाजनों ने हर्षित होकर,
धन्य किया अवध का धाम।
15. राज्याभिषेक का पर्व मना,
राम राज्य का आरंभ हुआ,
सुख-शांति का संचार किया,
अधर्म का संहार हुआ।
16. रामराज्य का युग आया,
न्याय का वह आदर्श समय,
प्रजा ने स्वर्ण युग पाया,
हर जन के मन में राम बसे।
17. सत्य और धर्म के प्रतीक बने,
संयम और ममता के दाता,
राम ने अपने जीवन से,
समाज को प्रेम सिखलाया।
18. सीता का त्याग किया,
प्रजाजनों का मन रखा,
कठोर किंतु न्यायप्रिय राम ने,
धर्म को अपने दिल में बसा।
19. मर्यादा पुरुषोत्तम का जीवन,
सर्वत्र प्रेरणा बन गया,
राम का जीवन आदर्श,
सबके हृदय में बस गया।
20. हे राम, तुमको वंदन है,
हम सब पर कृपा करो,
तुमसे ही जीवन का आधार,
हमारे मन को पावन करो।
श्रीराम के जीवन से प्रेरणा लेकर, हम धर्म, सत्य, और प्रेम के मार्ग पर चलने की कोशिश करें, यही इस कविता का संदेश है।
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