मैंने ऋतुओं से प्यार किया अपनी तन्हाई में

 मैंने ऋतुओं से प्यार किया अपनी तन्हाई में


जब अकेलापन मुझ पर छा गया,

सन्नाटे ने अपना घर बना लिया।

न कोई आवाज़, न कोई साथी पास,

पर प्रकृति ने बिखेरा अपना मधुर हास।


बसंत आया कोमल छुवन लिए,

हरियाली में छिपी एक आस लिए।

फूलों ने जैसे प्रेम संदेश दिया,

सूखी धरती को जीवन से भर दिया।

ओस की बूँदों ने गालों को छुआ,

मन में नया उजाला फिर हुआ।

मैंने पेड़ों के हँसने से प्यार किया,

बreeze के संगीत में सुकून लिया।


फिर गर्मी आई, तपिश भरी बाहों में,

सूरज की किरणें चमकी आकाशों में।

दिन लंबे, रातें छोटी हुईं,

धरती पर जैसे नई कहानियाँ बुनीं।

झरनों का गीत, नदियों की धारा,

धूप का नृत्य, जग का सहारा।

गर्मी के इस सुनहरे आलिंगन में,

मैंने खोया खुद को उसके चुम्बन में।


फिर शरद आया, लाल-पीले रंगों का जादू,

एक शांत ऋतु, जैसे कोई मीठा वादू।

पत्ते गिरकर धरती से गले मिले,

बदलाव की बातें हवा में घुले।

ठंडी हवाएँ ले आईं नई सोच,

हर कदम पर जैसे बंधे थे रोक।

शरद के इस रंगीन चमत्कार में,

मैंने सिखा हर क्षण के उपहार में।


सर्दी आई, सफेद चादर में लिपटी,

शीतल रातें, चाँदनी से सजी।

बर्फ ने जैसे गले लगा लिया,

तनहाई को अपने संग बहा दिया।

ठंडी हवा ने कहा धीरे-धीरे,

"सहनशीलता भी है जीवन का दीया।"

लंबी रातें, तारे गिने मैंने,

सर्दी की गोद में सुकून मिला मैंने।


हर ऋतु ने सिखाई कोई बात,

जीवन के रंग, समय का साथ।

बसंत की उम्मीद, गर्मी का जुनून,

शरद की शांति, सर्दी का सुकून।

इनके चक्र ने दिखाया रास्ता,

हर मौसम ने दिया एक नया वास्ता।


मैंने जाना प्रेम जो माँगे न कुछ,

बस हर पल में भरे सुख।

हर ऋतु ने थामा मेरा हाथ,

मेरी तन्हाई को दिया साथ।


मैंने बसंत संग फूलों संग झूला,

गर्मी संग धूप में जीवन का फूला।

शरद संग पत्तों पर चलती रही,

सर्दी संग बर्फ की चुप्पी सही।

इनकी गहराइयों में अपना संसार पाया,

इनकी बातों ने हर दर्द मिटाया।


अकेलापन अब साथी नहीं रहा,

ऋतुओं के प्रेम ने उसे छुपा दिया।

अब बदलते मौसमों में जीवन पाया,

इनके चक्र ने सिखाया नया साया।


तन्हाई में मैंने अपना गीत चुना,

ऋतुओं के संग जीवन बुनना।

इनका प्यार अटूट, अनंत, सच्चा,

अब दिल में है इनका साथ अच्छा।


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