प्रेम की कामना

 रात की ख़ामोशी में एक धीमा स्पर्श,

सांसों में घुली है चाहत की महक।

नज़र की चुप, दिल की पुकार,

इक गहरी तृष्णा में डूबे दो संसार।


दिल की धड़कन तेज़, लय की तरंग,

हर छुअन में बसी है चाहत की उमंग।

हवा में गहराई, पल थमे,

सिहरते बदन, संग बहके कदम।


उंगलियाँ छू लें राहें अंजान,

जहां प्रेम की छुअन से बने निशान।

हर स्पर्श जैसे अग्नि का खेल,

हर चुंबन में प्रेम की तेज़ी का मेल।


नज़रों में छुपी अनकही चाह,

उसमें बसी है प्रेम की आह।

दो जिस्म, जैसे लहरें मिलें,

प्रेम की लहरों में खोकर खिलें।


शब्द गुम, अब केवल देह का संवाद,

सांसों में घुला एक मधुर सुर ताल।

हौले से वे एक-दूजे में समा जाएँ,

प्रेम की गहराई में यूं बह जाएँ।


यह केवल तन नहीं, यह केवल प्यास नहीं,

यह प्रेम की गहराई, यह विश्वास सही।

सांसों और धड़कनों का संगीत,

कामना के सागर में प्रेम की प्रीत।


सुबह की रोशनी में बाकी है निशाँ,

उन रातों की चुप बातें, अनमोल अरमान।

प्रेम की आग में जलते दो नाम,

और संतृप्त फिर भी जागे, नित नई शाम।



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