सुप्रभात की गूँज

 सुप्रभात की गूँज


जागो प्रिय, देखो सुबह आई,

रात्रि की चादर धीरे से ढल गई।

सूरज ने फैलाए सुनहरे किरन,

बोला प्रभात, "उठो अब पथ चलें।"


क्षितिज पे छाई है लालिमा,

धरती पर फैली नव-ज्योति की गरिमा।

पंछी गा रहे मधुर गीत,

खोलो दिल, महसूस करो सृष्टि का संगीत।


शीतल ओस की बूंदें चमक रहीं,

पत्तों पर मोती सी झलक रहीं।

फूल भी मुस्काए, कलियाँ खिलीं,

सुगंधित पवन ने मधुर धुन बुन ली।


धरती धीरे-धीरे अंगड़ाई ले रही,

नदियाँ संगीत की धारा बहे रही।

हरी घास, नीला आकाश,

सृष्टि सजी है, एक अद्भुत प्रकाश।


प्रभात का संदेश, कितना सरल,

"नया दिन, नई राह, नया संबल।"

बीती बातें छूटी रात के संग,

अब नए सपनों में भरो उमंग।


तो आओ, इस दिन का सत्कार करो,

हर पल को अपनाकर नया सार भरो।

साँसों में भर लो सुबह की ताजगी,

जगाओ दिल में उमंग और सजीवता।


सुप्रभात! दिन की शुरुआत करो,

अपने प्रेम और उत्साह को बाँट लो।

हर सुबह एक तोहफा है खास,

जो लाता है नए अवसर और आस।


क्षणभंगुर है, फिर भी सजीव,

दुख-सुख का यह अद्भुत प्रतीक।

तो उठो, प्रिय, इस सुंदर पुकार पर,

हर सुबह है प्रकृति का अनमोल उपहार।


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