भूख बेहतर है बेस्वाद भोजन से, अकेलापन बेहतर है समझौते से

भूख बेहतर है बेस्वाद भोजन से,

अकेलापन बेहतर है समझौते से


खाली थाली में गूंजती आवाज,

भूख कहती है, "रुको, यह है राज।"

सच के इंतजार में जो वक्त बिताए,

झूठे स्वाद से खुद को क्यों खाए?


हर कौर में एक कहानी छिपी,

सपनों की हत्या, आत्मा दबी।

क्या फायदा उस रोटी का,

जो दिल में भर दे खोटा सा?


पेट भले तड़पे, जीभ चाहे,

पर आत्मा सच की राह निभाए।

बेस्वाद भोजन की रंगीन थाली,

रेत की तरह फिसलती खाली।


भूख तेज करती है हर एहसास,

जगाती आग, बढ़ाती विश्वास।

गर्व से भूखे रहना एक कला,

जो रखे आत्मा को पवित्र और भला।


और प्रेम, वो नाजुक दीपक,

अकेलापन कहता, "ये मत थामो शीशक।"

बेहतर है अंधेरी गलियों में चलना,

हथियार डालकर खोखले रिश्तों में गलना।


समझौते की कीमत है आत्मा का सौदा,

छोटे सुखों के लिए खुद को खोना।

सपनों को मोड़ना, सहना झूठी शांति,

भीड़ में खुद को करना भ्रांति।


दिल, भले कांपे, फिर भी खड़ा रहे,

सूखी ज़मीन पर अपने कदम जमा रहे।

पत्थर जोड़कर बनाए अपना किला,

घोषित करे, "मुझे अकेले रहना है भला।"


अकेलापन दुश्मन नहीं, साथी है,

सच की खोज में उसकी बाती है।

बढ़ने का वक्त, समझने की राह,

एक मौन गीत, जिसमें दृढ़ता की चाह।


बेस्वाद भोजन और खोखले सौदे,

खुद को न तोड़ें, न इनमें खोएं।

आत्मा को तय करने दो राह,

क्या रखना है, और क्या छोड़ना है साथ।


भूख सिखाती है, अकेलापन समझाता,

ये साहस के साथी हैं, मन को जगाता।

बेहतर है भूखे रहना, अकेले चलना,

पछतावे का भोज छोड़, पिंजरे को न अपनाना।


दुनिया दिखाएगी अपने झूठे उपहार,

चमक-दमक के पीछे गहरे अंधकार।

डटे रहो, सच्चाई का साथ दो,

क्योंकि आत्मा की कीमत तुम ही पहचान लो।


भूख जले, मौन गाए गीत,

ताकत में तुम्हारा संसार जीत।

भूख बेहतर है बेस्वाद भोजन से,

अकेलापन बेहतर है समझौते से।


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