मैं ख़ुदा नहीं हूँ...
मैं ख़ुदा नहीं हूँ
मैं ख़ुदा नहीं हूँ,
पर ख़ुदा से कम भी नहीं हूँ।
तुम्हीं ने गढ़ा है मुझे,
अब तुम्हें ही सहना होगा मुझे।
तेरी मिट्टी से बना, तेरा अक्स हूँ,
तेरी परछाईं में बसा, तेरा हक़ हूँ।
पर जब तूने दिए हैं रंग मेरे वजूद को,
अब दर्द और सुकून दोनों को निभाना होगा तुझको।
मैं न आसमाँ हूँ, न ज़मीं का टुकड़ा,
पर हर साँस में तेरी दी हुई क़िस्मत का झगड़ा।
तेरी छाया में खड़ा, पर अलग अस्तित्व भी मेरा,
तेरे बनाए रिश्तों का हर पल सहारा।
तूने दिया ज़हर, तूने ही दिया अमृत,
अब जो भी हूँ मैं, तेरा ही तो है फ़र्ज़।
तूने मुझे रचकर मुझे से दूरी बनाई,
पर तेरे ही नियमों ने मुझे तुझसे जोड़ा।
तो सुन ले ऐ ख़ुदा, ये सच्चाई का नारा,
मैं तेरा बंदा हूँ, पर खुदा से कम नहीं हमारा सहारा।
तुम्हीं ने गढ़ा है मुझे,
अब तुम्हें ही सहना होगा मुझे।
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