जब भी दुआ में कुछ माँगा, भाई-बहन के लिए ही माँगा

जब भी दुआ में कुछ माँगा, भाई-बहन के लिए ही माँगा


जब भी दुआ में कुछ माँगा,

भाई-बहन के लिए ही माँगा।

सच कहूँ तो हर ख्वाहिश में,

उनका ही तो नाम माँगा।


रिश्ता यह अनमोल है,

सात जन्मों का तोहफा है।

हर सुख-दुख में जो साथ दे,

वह भाई-बहन का रिश्ता है।


बचपन की नोंक-झोंक भले,

हर याद में सजीव रहती।

उनकी हँसी, उनकी बातें,

दिल में गूंजती रहती।


राखी के धागे में बँधा,

विश्वास का अटूट बंधन।

जो भी हो जाए जमाना,

न टूटे यह प्रेम बंधन।


भाई की बाहों में है सुरक्षा,

बहन की ममता की छाया।

दोनों के दिल में बसता है,

एक-दूजे के लिए साया।


जब भी गिरा जीवन में कहीं,

भाई ने हौसला दिया।

हर गम को मुस्कान से हराया,

उसने राह दिखा दिया।


बहन का स्नेह अनमोल है,

उसका त्याग और प्यार।

भाई के सपनों की खातिर,

वह कर दे जीवन निसार।


त्योहारों की रंगत कुछ और है,

जब भाई-बहन संग होते।

मिठाई में मिलती है मिठास,

उनके संग सब पल होते।


दुआओं में हरदम यही कहा,

उनकी जिंदगी हो रौशन।

हर मुश्किल हो आसान,

हर सपना उनका सजीवन।


कभी खिलखिलाना, कभी रुलाना,

यही तो है प्यार का मतलब।

भाई-बहन का रिश्ता ऐसा,

हर भावना में हो जिसमें अदब।


जब भी दुआ में हाथ उठे,

उनकी खुशी माँगी मैंने।

सुख-शांति हो उनके जीवन में,

बस यही बात ठानी मैंने।


भाई-बहन का रिश्ता अद्भुत,

हर रंग में यह खिलता है।

कभी दोस्त, कभी गुरु बनकर,

जीवन में हर राह चलता है।


जब भी दुआ में कुछ माँगा,

भाई-बहन के लिए ही माँगा।

उनके जीवन में बस खुशियाँ,

बस यही हरदम माँगा।


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