"प्रेम की आज़ादी"
अब मैं सब कुछ उससे कह सकता हूँ,
पहले ऐसा नहीं था, यह सहज नहीं था।
मन में थी कुछ उलझी हुई बातें,
जिन्हें कभी कहने की हिम्मत नहीं थी।
अब मैं उससे प्रेम करता हूँ,
और वो भी मुझसे वैसा ही प्रेम करता है।
इस प्रेम में है एक अनोखी स्वतंत्रता,
हर भावना को बिना डर के व्यक्त करने की।
किसी अजनबी से हम सब कुछ नहीं कह सकते,
वो शायद हमें समझ न पाएगा,
शायद बुरा मान जाएगा,
या हमारी बातें ही गलत समझ लेगा।
पर प्रेम ने इस डर को मिटा दिया,
जैसे दरिया में बहकर सारे बंधन बह गए।
अब उसके सामने मैं हूँ, अपने सच्चे रूप में,
जैसा हूँ, वैसा ही हूँ, बेझिझक, निडर।
यह प्रेम ही है जो हमें समझने का साहस देता है,
हमारी हर सोच, हर ख्वाहिश, हर सपना।
अब किसी परदे के पीछे छुपने की जरूरत नहीं,
अब खुद से भी कुछ छुपाने की जरूरत नहीं।
पहले यह डर था कि वह क्या सोचेगी,
मेरे जज्बातों को कैसे समझेगी।
पर अब प्रेम ने वह दीवार गिरा दी है,
अब हर बात एक धारा की तरह बहती है।
उसके साथ यह आज़ादी महसूस होती है,
जैसे अपनी ही परछाईं से बातें कर रहा हूँ।
हर खुशी, हर ग़म, हर उम्मीद, हर डर,
सब कह सकता हूँ, बिना किसी झिझक के।
प्रेम ने हमें यह विश्वास दिया है,
कि हर बात का अर्थ यहाँ समझा जाएगा।
अब किसी छिपाने की जरूरत नहीं है,
अब हर शब्द को संकोच से बांधने की ज़रूरत नहीं है।
हर विचार उसके पास सहज हो गया है,
हर भावना अब शब्दों में ढलने लगी है।
पहले शब्द भी थरथराते थे होंठों पर,
अब वो बहते हैं जैसे नदी का जल।
यह प्रेम ही तो है, जो हमें स्वीकृति देता है,
हर अधूरेपन को स्वीकारता है,
और पूरा करता है हमें अपनेपन से,
इस प्रेम में है एक गहरा अपनापन।
अब कोई सवाल डर नहीं देते,
हर जवाब में सच्चाई है।
अब किसी असहमति का डर नहीं,
हर बात में खुलापन है, सहजता है।
यह प्रेम हमें वह आत्मविश्वास देता है,
जहाँ खुद को कहने का हक मिल जाता है।
अब हमें उसके समक्ष कुछ छुपाने की जरूरत नहीं,
हर बात का स्थान, हर भावना का मान है।
यह प्रेम है, जहाँ मैं पूरा हूँ,
हर कमजोरी, हर डर के साथ।
यह प्रेम ही है जो मुझे आज़ाद करता है,
कि मैं उसके सामने अपने हर रूप में खड़ा हो सकूँ।
पहले लगता था कि कुछ बातें अनकही रहेंगी,
कहीं वो न समझे, कहीं वो दूर न हो जाए।
पर अब जानता हूँ, यह प्रेम का बंधन,
हर अनकही को सुनने का हौसला देता है।
इस प्रेम में हर सीमा खो गई है,
हर शब्द में एक नयापन है।
अब कह सकता हूँ उसे वो बातें भी,
जो कभी मेरे अपने भी न समझ सके।
प्रेम में यह आज़ादी अद्भुत है,
हर मन की बात कहने की स्वतंत्रता।
अब उसके साथ हूँ, अपने पूर्ण स्वरूप में,
जैसे एक खुला आकाश, बेफिक्र, बेहिचक।
यह प्रेम की ताकत है जो हमें जोड़ती है,
जो हर डर को समाप्त कर देती है।
अब शब्दों में कोई बंधन नहीं,
अब हर भावना को खुला आसमान मिल गया है।
अब प्रेम में यह विश्वास है कि,
हर बात वह स्नेह से सुनेगी,
हर भावना को समझेगी,
और मेरे ह्रदय को अपने ह्रदय से बाँध लेगी।
प्रेम की यह आज़ादी अनमोल है,
इसमें हर ख्वाब को जीने का एहसास है।
यह प्रेम ही हमें सच्चा बनाता है,
जहाँ हम हर बात कह सकते हैं, निडर, निस्वार्थ।
अब मैं उसके सामने हूँ, बिना किसी आवरण के,
जैसे जीवन का एक खुला पृष्ठ।
अब यह प्रेम ही मेरी अभिव्यक्ति है,
जहाँ हर लफ्ज़ में उसकी परछाईं है।
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