मध्यरात्रि का रस

 मध्यरात्रि का रस


आधी रात की खामोशी में,

तेरी आहटों का संगीत गूंजता है।

चाँदनी की नर्म छाया में,

तेरे लम्स का खुमार जगता है।


तेरी गर्म साँसों की लहरें,

मेरे तन-मन को छूने लगती हैं।

तेरे स्पर्श की मादक सिहरन,

हर धड़कन में बहने लगती है।


हम दोनों के बीच सुलगता यह शबाब,

जैसे चिंगारी छू रही हो रूह को।

तेरी बाहों में बंधी यह रात,

हर पल को प्यार में डुबो रही है।


तारों की गोद में लिपटे हम,

जैसे दो बदन एक साँस बन गए हों।

इस मदहोश रात के अँधेरों में,

हम इश्क़ के समंदर में बह गए हों।


तेरे पास, तेरी बाहों में,

रात ढलती है पर चाह नहीं।

इस लम्हे को जीने की प्यास,

बस यूँ ही थमती नहीं, मिटती नहीं।



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