यह दुनिया, यह महफ़िल
यह दुनिया, यह महफ़िल
यह दुनिया, यह महफ़िल, यह रौशनी का मेला,
हर ग़म को छुपा लेता, हर ज़ख़्म को अकेला।
हंसी के इस बहाने में, छुपे कितने आंसू,
यहां दिल की बातें कहां सुनता है कोई सब्र का पहलू।
चमकते हैं सितारे, पर दिल में है अंधेरा,
हर चेहरा मुस्कुराए, पर भीतर है सवेरा।
यहां रिश्ते तो बनते हैं, पर सच्चाई कहां,
यह दुनिया, यह महफ़िल, है दिल का सुकूं कहां।
हर ओर है चहल-पहल, हर गली है जगमग,
पर दिल की तन्हाई में, हर गम रहता है थम।
यहां लोग आते हैं, पर पास कोई नहीं,
यह दुनिया, यह महफ़िल, बस पल भर का यकीं।
मोहब्बत के अफसाने, किताबों में रह गए,
जो दिल की जुबां थे, वो लफ्ज़ कहीं बह गए।
यहां हर कोई अपना, मगर कोई साथ नहीं,
यह दुनिया, यह महफ़िल, जैसे खाली सौगात कहीं।
हर दिन है नई कहानी, हर रात नई ख्वाहिश,
पर सच्ची खुशी का पता नहीं, सिर्फ़ खामोश साजिश।
यहां धड़कते दिल हैं, पर एहसास नहीं,
यह दुनिया, यह महफ़िल, है पर खास नहीं।
रंगीन सपनों की चादर, है धोखे की रीत,
जहां दिल टूट जाते, वहीं चलते हैं गीत।
यहां हर आहट में, एक छल की गूंज,
यह दुनिया, यह महफ़िल, है दर्द का मर्ज़।
फिर भी यह दुनिया प्यारी, और महफ़िल अद्भुत,
हर दर्द में छुपा है, एक नया सबक।
जो रोशनी में छुपा है, उसे अंधेरे में देखो,
यह दुनिया, यह महफ़िल, अपने अंदर झांक लो।
चलो, इस महफ़िल को जी लें, दिल खोल कर,
हर दुख, हर ग़म को, आंखों में घोल कर।
यहां हर कहानी अधूरी, पर सुंदर भी है,
यह दुनिया, यह महफ़िल, हमारी तकदीर भी है।
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