"कितना मुश्किल है तुम्हारे बिना रहना"
"कितना मुश्किल है तुम्हारे बिना रहना"
कितना मुश्किल है तुम्हारे बिना रहना,
जैसे सूरज के बिना रोशनी का दम भरना।
जैसे सितारों का आसमान से दूर हो जाना,
जैसे सांस लेना, पर जीने का सबब खो जाना।
दिल के कोने में एक ख़ामोशी सी है,
तुम्हारी यादों की एक रोशनी सी है।
वो मुस्कान जो दिल को चैन देती थी,
अब वो यादों का एक ज़ख़्म सी है।
रात के अंधेरों में तुम्हारी बातें याद आती हैं,
चांदनी के साथ तुम्हारी मुस्कान जगाती हैं।
तुम जो पास होते, तो दुनिया सुकून सी लगती थी,
अब हर पल एक अधूरी कहानी सी लगती है।
समय के धारों में तुम्हें ढूंढता हूँ,
ज़िंदगी के राहों में तुमसे पूछता हूँ।
"ये फासले क्यों इतने गहरे हो गए?"
तुम बिन जीने के राज़ क्यों अधूरे हो गए?
पर क्या करें, ये है ज़िंदगी का दस्तूर,
तुम्हारे बिना भी धड़कता है ये दिल का नूर।
पर हर धड़कन में तुम्हारा एहसास है,
कितना मुश्किल है रहना, जब तुम पास होके भी दूर हो |
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