रात भर तड़पा उसकी याद में
रात भर तड़पा उसकी याद में,
दिल रोया जैसे टूटा एक ख्वाब में।
आँखें तकिए पे सिल गईं,
जैसे दर्द की सुई दिल में मिल गई।
चाँद भी खामोश सा लगने लगा,
सितारों ने भी मुँह फेर लिया,
सन्नाटे ने बस मुझे घेरा यूँ,
जैसे उसने खुद को मुझसे दूर कर लिया।
हर साँस बोझिल, हर लम्हा भारी,
उसके बिना जैसे बेजान सा है ये संसार,
दिल में वो दर्द का समंदर,
हर लहर जैसे चीख रही बार-बार।
रात भर जागा, आँसू छलके,
दिल तड़पा, ये तन्हाई भरी रात थी,
उसकी यादों का दिया जलता रहा,
जैसे जलने में ही अब राहत थी।
अब सुबह भी सूनी लगती है,
उसके बिना कोई उम्मीद नहीं बाकी,
रात भर तड़पा उसकी याद में,
जैसे ये दर्द ही मेरी जिंदगी की साथी।
Comments
Post a Comment