मैं क्यों गुज़ारिश करूँ उससे कि मुझसे बात कर ले,

मैं क्यों गुज़ारिश करूँ उससे कि मुझसे बात कर ले,

वो नहीं जानती कि रह नहीं पाता मैं बिना उससे बात किए।

दिल में तड़प है, और लबों पे खामोशी,

उसकी एक आवाज़ की तो बस एक कमी है, हर रोज़ की।


जब भी उसे याद करता हूँ, दिल रोता है,

उसकी यादों में खोकर, जीना एक सजा सा लगता है।

उससे बात किए बिना हर पल काटना,

जैसे जीते जी कोई मौत को अपनाना।


कितनी बार दिल ने कहा, तू जाकर कह दे,

लेकिन डर था कि कहीं वो मुझसे न कह दे,

"अब हम दोनों के रास्ते अलग हैं,

तुमसे बात करना मेरे लिए अब नहीं सही है।"


मुझे तो सिर्फ उसकी एक बात चाहिए,

एक शब्द, एक सवाल, बस कुछ भी तो चाहिए।

क्या उसे कभी मेरा ये दर्द दिखाई देगा?

या वो यूँ ही चुप रहेगा, जैसे अब तक रहा है।


क्या वो कभी समझेगा कि मैं उसकी बिना ज़िंदगी नहीं जी सकता,

क्या वो कभी जान पाएगा कि उसके बिना दिल अपना धड़कन नहीं पा सकता?

दिल की यह दुआ है कि वो मुझे महसूस करे,

क्योंकि मैं जानता हूँ, उसकी बातों के बिना मैं मर सकता हूँ, अगर वो न करे।


मैं क्या करूँ, किससे कहूँ, किससे शिकायत करूँ,

तुम्हें याद करूँ, तो और ज्यादा तड़पता हूँ।

क्यों नहीं वो समझता, क्यों नहीं वह देखता,

कि हर दिन मेरा दिल उसके बिना टूटता है, हर लम्हा तड़पता है।


मैं एक दुनिया में हूँ, जो खाली सी लगती है,

तुम्हारे बिना तो जैसे मेरी ये दुनिया ही सिमट सी जाती है।

क्या उसे कभी यह एहसास होगा,

कि मैं हर पल उसके बिना कुछ खोता जा रहा हूँ?


उसकी एक हंसी, एक मुस्कान ही तो चाहिए थी,

वो बात करने से सिर्फ एक कदम दूर थी।

क्या वह कभी समझेगा कि मेरे लिए यह बहुत जरूरी था,

कि वो मुझे बस एक बार फिर से अपना समझे।


अगर वह चुप रहेगा, तो मैं बस तड़पते रहूँगा,

मगर अगर वह बात करेगा, तो मेरा दिल चैन पाएगा।

लेकिन क्या वो कभी जान पाएगा,

कि मैं उसके बिना पूरी तरह से बिखर जाऊँगा?


क्या मैं फिर भी उम्मीद रखूँ, या उसे छोड़ दूँ?

क्या मुझे उसकी सख्त चुप्पी से नफरत करनी चाहिए,

या उस चुप्पी में छुपी हुई बातों को समझना चाहिए?

हर पल यही सवाल मुझे खाए जा रहा है, कि मैं क्या करूँ।


क्यों उसकी खामोशी में भी प्यार है या सिर्फ दूरी है?

क्या वो मुझे इस तरह महसूस कराना चाहता है कि मैं दूर हूँ?

क्या वो कभी मुझसे बात करेगा, मुझे लौटाएगा?

या फिर मैं ऐसे ही तड़पते हुए हमेशा बर्बाद हो जाऊँगा?


क्यों वह नहीं समझता कि बिना उसके मेरी दुनिया अधूरी है,

क्या वह कभी यह जान पाएगा कि उसके बिना मेरी धड़कन की कोई पूरी नहीं है?

मैं क्यों गुज़ारिश करूँ, क्यों उसे अपना दर्द सुनाऊँ?

क्या वह कभी मुझे समझेगा, या फिर हमेशा यूँ ही मुझसे दूर जाएगा?


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