मुझे अपने साथ लेके चलो
मुझे अपने साथ लेके चलो
मुझे अपने साथ लेके चलो, जहां ख्वाब संवरते हैं,
जहां दिल की हर धड़कन में, अरमान बिखरते हैं।
जहां हो सुकून का साया, और ख़ुशी की बारिश,
मुझे अपने साथ लेके चलो, दूर हर ग़म की साजिश।
यह दुनिया बड़ी बेगानी, ये राहें अनजानी,
हर मोड़ पर खड़ा है, तन्हाई का अफसाना पुराना।
जहां तुम्हारा साथ हो, और कोई डर न हो,
मुझे अपने साथ लेके चलो, जहां बस प्यार का घर हो।
हर घड़ी जो गुज़री है, वो इंतजार की थी,
अब तो सिर्फ़ चाहत है, वो सफर तुम्हारे साथ की।
जहां हवाओं में हो महक, तुम्हारी मौजूदगी की,
मुझे अपने साथ लेके चलो, उस बगिया की ताज़गी की।
यहां हर चेहरा है नकाब, हर हंसी है दिखावा,
दिल की गहराइयों में, बस खालीपन का धावा।
जहां सच्चाई हो, और रिश्तों की मिठास,
मुझे अपने साथ लेके चलो, उस जहां का एहसास।
तुम्हारे कदमों के निशां पर चलना चाहता हूं,
हर मुश्किल को तुम्हारे संग सहना चाहता हूं।
जहां हो तुम्हारी बातों का एक प्यारा सिलसिला,
मुझे अपने साथ लेके चलो, उस ख्वाब का काफिला।
चमकती धूप के नीचे, जहां साया तुम्हारा हो,
हर अंधेरी रात में, बस उजाला तुम्हारा हो।
जहां मेरे सपनों का हर रंग साकार हो,
मुझे अपने साथ लेके चलो, जहां मेरा संसार हो।
तुम्हारी आंखों में झिलमिलाते हैं जो सितारे,
उनमें बसी है मेरी मंज़िल, मेरे सहारे।
जहां हर मोड़ पर मिले बस तुम्हारा साथ,
मुझे अपने साथ लेके चलो, जहां न हो कोई बात।
हर पत्ता जो झूमे, गाए तुम्हारे गीत,
हर लहर जो उठे, लाए तुम्हारे प्रेम की रीत।
जहां धरती और आसमान भी हो साथ तुम्हारा,
मुझे अपने साथ लेके चलो, उस जहां का किनारा।
तुम्हारी बाहों में बसा है जो शांति का संसार,
वहां ले जाओ मुझे, जहां मिटे हर तकरार।
जहां हर दिन हो नई शुरुआत, हर पल हो नया,
मुझे अपने साथ लेके चलो, जहां बस हो “हम” का साया।
तो बढ़ाओ अपना हाथ, और मुझे थाम लो,
इस भटकते सफर को एक मंज़िल का नाम दो।
जहां हो सिर्फ़ प्यार और विश्वास की डगर,
मुझे अपने साथ लेके चलो, मेरे जीवन का सफर।
Comments
Post a Comment