"जाड़े की धूप में याद आती हो"

जाड़े की धूप में याद आती हो,

जब भी छत पे जाता हूँ।

ठंडी हवा का झोंका हो जैसे,

तुम्हारी यादें साथ लाती हो।


सूरज की किरणें छूने को,

छत पे जाते हुए मैं सोचता हूँ,

कैसी होती वो सुबहें तेरी,

जब तुम पास होतीं, साथ होतीं।


जैसे धूप का स्पर्श हमें सुकून दे,

वैसे तुम्हारी यादें दिल को सुकून देती हैं।

हर धूप की किरण में तेरा एहसास,

जैसे मेरे अंदर समा जाता है।


वो दिन याद आते हैं, जब हम साथ होते,

चाय की प्याली, और तुम मुस्काती हो।

सूरज की हल्की धूप में बैठकर,

दुनिया से बेखबर, सिर्फ तुम हो और मैं हूँ।


जाड़े की धूप में याद आती हो,

जब भी छत पे जाता हूँ।

तुम्हारे साथ बिताए पल,

हर याद अब मेरे दिल में बसी हो।


ठंडी हवाओं में, जैसे वो सूर्य की किरण,

सपनों को रोशन कर देती है।

तुम्हारी यादें भी वैसे ही,

मेरे अंधेरे दिनों को रोशन करती हैं।


कभी चुपके से गहरे विचारों में खो जाना,

जैसे धूप में हल्का सुकून महसूस होता है।

हर गर्मी, हर किरण में,

तुम्हारा एहसास मेरे पास होता है।


जाड़े में धूप कुछ खास होती है,

वो ठंडक में जो गर्माहट घोलती है।

जैसे चाँद की रोशनी में एक शांति,

वैसे ही तेरी यादें सुकून देती हैं।


तुम्हारी यादें भी इस धूप सी हैं,

जो हर ठंडी रात में हमें गर्मी देती हैं।

सर्द हवाओं में भी जैसे सूरज की किरण,

हमेशा हमारे दिलों में प्यार भर देती है।


तुम्हारे बिना ये धूप फीकी लगती,

तुम हो तो सूरज की किरण भी प्यारी लगती।

छत पे बैठा हूँ, पर महसूस कर रहा हूँ,

तुम्हारी बातें और वो धूप, एक साथ बसी हो।


जाड़े की धूप में याद आती हो,

जब भी छत पे जाता हूँ।

तुम्हारे साथ बिताए वो पल,

जैसे हर धूप में कुछ खास हो।


वो दिन याद आते हैं,

जब सूरज की किरणों में तुम मुस्काती हो।

जाड़े की धूप में जब तुम पास होतीं,

जैसे ठंड में भी गर्मी की तरह लगती हो।


धूप का असर इस सर्दी में,

ठंडे ख्यालों को गर्म कर जाता है।

जैसे सर्द हवाओं में तुम होती हो,

मेरे मन के कोने को चमका जाता है।


जाड़े की धूप में याद आती हो,

जब भी छत पे जाता हूँ।

तुम्हारी यादें जैसे वो सूरज की किरणें,

मेरे दिल को आशीर्वाद देती हो।


हर सुबह जब सूरज अपनी किरणें फैलाता,

याद आती है वो बातें, जो तुमने कहीं थी।

जाड़े की धूप में जैसे तुम्हारा प्यार,

हर पल मेरी धड़कन में बसी हो।


तुम्हारी हँसी की वो मिठास,

जैसे धूप में बसी हो।

तुम हो तो दुनिया रोशन लगती है,

जैसे सूरज की किरण में रंग बसी हो।


जाड़े की धूप में याद आती हो,

जब भी छत पे जाता हूँ।

तुम्हारे बिना हर धूप, हर रौशनी,

जैसे अधूरी लगती हो, कुछ खोई हो।


ठंडी हवाओं में तुमसे मिले जज़्बात,

धूप के जैसे वो सुखद थे, बिना किसी बात।

जाड़े की धूप में जैसे तुम आ जाओ,

मेरी दुनिया फिर से रंगीन हो जाए।


हर धूप में वो प्यार हो,

जैसे गर्माहट हो किसी रिश्ते में।

जाड़े की धूप में याद आती हो,

जब भी छत पे जाता हूँ।



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