मैं कवि हूँ..
मैं कवि हूँ,
और जो मन में आए लिखता हूँ।
भावनाओं की गहराई में डूबकर,
हर शब्द को अर्थ देता हूँ।
जो देखता हूँ, वो बयां करता हूँ,
जो महसूस करता हूँ, वो कहता हूँ।
कभी सपनों के रंग भरता हूँ,
तो कभी यथार्थ से जूझता हूँ।
मैं लिखता हूँ दर्द की दास्तां,
मैं गढ़ता हूँ खुशियों का जहाँ।
मैं शब्दों से चित्र बनाता हूँ,
और विचारों की गहराई दिखाता हूँ।
जब दिल में सन्नाटा छा जाता है,
शब्द खुद-ब-खुद आ जाते हैं।
जब आँखों में आँसू छलकते हैं,
कागज़ पर वो मोती बन जाते हैं।
मैं लिखता हूँ रिश्तों की बात,
जहाँ हो प्यार और विश्वास का साथ।
मैं लिखता हूँ प्रकृति की छवि,
जहाँ फूलों की महक और नदियों की लहरें दिखतीं।
मैं लिखता हूँ इंसानी जज्बात,
कभी क्रोध, तो कभी करुणा का साथ।
कभी संघर्षों की आवाज बनता हूँ,
तो कभी सुकून का गीत रचता हूँ।
मैं लिखता हूँ समय के बदलाव,
जहाँ पुरानी यादें और नई राहें हैं।
मैं लिखता हूँ बच्चों की हँसी,
और बुजुर्गों के अनुभवों की गहराई।
कभी मैं सवेरा बनकर आता हूँ,
कभी रात की तन्हाई बयाँ करता हूँ।
कभी युद्ध की तस्वीर दिखाता हूँ,
तो कभी शांति की राह सुझाता हूँ।
मैं कवि हूँ,
और मेरे शब्द मेरी ताकत हैं।
मैं दुनिया को अपने नजरिए से देखता हूँ,
और अपनी कल्पनाओं से सजाता हूँ।
मैं लिखता हूँ बारिश की फुहार,
जहाँ मिट्टी की खुशबू का प्यार।
मैं लिखता हूँ सूरज की किरणें,
जो अंधेरों में रोशनी भरें।
कभी मैं चाँद की ठंडक हूँ,
तो कभी धूप की तपन हूँ।
कभी मैं मुस्कान का सन्देश हूँ,
तो कभी आँसुओं की पनाह हूँ।
मेरे शब्द जीते-जागते अहसास हैं,
कभी सपने, तो कभी इतिहास हैं।
जो महसूस करता हूँ, वही कहता हूँ,
मैं कवि हूँ, और जो मन में आए लिखता हूँ।
इस दुनिया को समझने की कोशिश में,
मैं अपनी कलम से चित्र बनाता हूँ।
हर भावना, हर कहानी,
कागज़ पर जीवन पाती है।
मैं कवि हूँ,
और मेरे शब्द अमर हैं।
जो भी लिखता हूँ,
वो दिल से निकलता है, और रूह तक पहुँचता है।
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