"जब वसंत का समापन होता है"

 "जब वसंत का समापन होता है"


हवा में ठंडक, फूल झुकने लगे,

वसंत की कोमल छाया अब बिछड़ने लगे।

जो महक थी कभी, वो फीकी हो गई,

अब बस एक याद, जो बीती हो गई।


चिड़ियों का गीत अब मंद हो गया,

चाँद के नीचे एक दर्द जगा।

जितने रंग थे, वो मुरझा गए,

वसंत की विदाई के बाद, सब चुप हो गए।


कैसा यह परिवर्तन, कैसे यह पल,

जो था रंगीन, वह अब हो गया हलका।

सूरज की किरण, जो छूने की थी,

अब बादलों में खो गई, बिना किसी खुशी के।


ट्यूलिप सिर झुका, रंग बिखरने लगे,

जो खुशबू थी, अब थमने लगे।

गुलाबों की मुस्कान, धीरे-धीरे कुमलाए,

सूरज की किरणें भी अब बुझ जाएं।


दिल में एक पीड़ा बसी है यहाँ,

वह सुंदर पल अब रहें ना वहाँ।

हर कदम, हर सांस, हर पल में,

वसंत की यादें रहें उस हल्की ध्वनि में।


खेतों में हरियाली का जो था जोश,

अब चुप हो गया, हर तना, हर पत्ते का रोष।

मधुमक्खियों की गूंज, चिड़ियों का गीत,

अब चुप हो गए, जैसे समय का संकट।


वह गर्मी, जो लहराती थी शाखों में,

अब दुःख बन गई, दिल के टुकड़ों में।

फूल जो खिलते थे धूप में हंसी से,

अब मंद हो गए, वे रंग सारे।


आवाज़ में उदासी, हवा में घना,

क्या सच में ऐसा आना था?

वसंत, तेरी छवि अब बिछड़ने को,

मुझे छोड़ चली तेरी अनदेखी को।


चमेली की खुशबू जो थी आकाश में,

अब खो गई, जैसे कोई यादें पुरानी।

बैंगनी फूल झुके, सूरजमुखी सुस्त,

हर रंग अब खुद में हो गया है गुम।


वसंत, तुम्हारी सजीव महक का था समय,

अब बस आने वाली रात बाकी है.|

तेरे गुलाबी रंग, वो बहारें सभी,

अब बस एक स्मृति, दिल में खोई।


तू मेरा प्रिय था, वसंत तुम्हारा,

हर पल को मन में बसाया।

तेरी हंसी, तेरा रंगीन रूप,

अब बन गया है सूना, बस खाली रूप।


मगर फिर भी, तू महसूस होता है,

हवा में धीरे-धीरे लहराता है।

तेरी यादें बसी हैं हर पेड़ की शाख में,

मुझे लगता है तू सासों में है, अनकहे।


तेरा दर्द, जो है अनमोल,

वह जीवन का हिस्सा है, हर पल।

तू गया है, मगर तू हमेशा रहेगा,

वसंत की यादें बन कर|


हर मौसम, हर पल, हर बारी,

वसंत का प्यार, अब भी हमारी।

तेरी विदाई से दुखी तो हूं,

मगर फिर से तेरा इंतजार करूंगा।


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