आत्मा का संगीत
एकांत के क्षणों में, कवि सुनता है गीत,
गूंजता है अंतर्मन में, आत्मा का संगीत।
न कोई वाद्य, न स्वर का सहारा,
बस शून्य में से उठता, अनमोल सितारा।
शब्द नहीं, फिर भी गहरी है बात,
हर सुर में छुपी है जीवन की सौगात।
सन्नाटे में सुनाई देता उसका सुरूर,
जैसे नदी के संग गूंजता हो कोई ध्रुपद पूर।
वृक्षों की शाखें, पत्तों की सरसराहट,
जैसे प्रकृति संग गाती हो उसकी थिरकन की आहट।
मन की गहराई में जलता दीपक,
आत्मा का संगीत, बनता प्रेरणा का उपहार।
कभी यह गीत है दर्द का सहारा,
कभी उमंगों का उत्सव, जैसे नृत्य की धारा।
कवि की कलम, इसकी लय पर झूमे,
शब्दों में आत्मा का संगीत, स्वर्णिम झरने।
भोर की पहली किरणों का संगीत,
या चाँदनी रात में सितारों की प्रीत।
कवि का मन इसे महसूस करे,
आत्मा की बात, दिल तक पहुँचे।
हर सुर में एक कथा, हर ताल में सन्देश,
आत्मा का संगीत, नहीं कोई सीमाएँ, न भेष।
यह ब्रह्मांड का नाद, और जीवन का सार,
कवि को बाँधे, जैसे सागर किनारे का संसार।
आंसुओं में छुपा है इसका रहस्य,
हंसी में झलकता इसका उत्साहमय अभ्यास।
दुख-सुख का साथी, जीवन का नृत्य,
आत्मा का संगीत, कवि का सत्य।
कवि सुनता इसे, और लिखता यह गीत,
प्रकृति, आत्मा और प्रेम की जीत।
हर शब्द, हर छंद में बसता है,
आत्मा का संगीत, जो सृष्टि में गूँजता है।
इस ध्वनि में बसती है अनंत की गाथा,
जीवन की राह, और आत्मा की परिभाषा।
कवि के हृदय से, यह गीत बहता,
आत्मा का संगीत, सब कुछ कहता।
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