"ऋतुओं की महक और स्वाद की याद"
"ऋतुओं की महक और स्वाद की याद"
जब वसंत आता है, खिलते हैं फूल,
हर तरफ बसी होती है एक मीठी धूल।
जैसे दिल में बसी हो एक नई सी ताजगी,
वसंत की महक में बसी है वो रागिनी।
वो ताजगी, वो मिट्टी की सोंधी खुशबू,
जो मिट्टी और ओस में गहरे घुली हो,
लवेंडर की महक, गुलाब की रंगत,
वसंत में बसी है एक ऐसी जगमगाहट।
उन ठंडी हवाओं में बसी मिठास,
जो देती है दिल को गहरी एक आश।
नारंगी के फूलों की प्यारी महक,
जो मन को मोह ले, जैसे कोई रहस्य।
फिर गर्मी आती है, हल्की सी तपिश,
सूरज की किरणें देती हैं एक कड़वाहट की महक।
मगर बीच में बसी होती है एक ताजगी,
गर्म हवा में बसी होती है एक मधुर रागिनी।
तरबूज, आम, और नींबू की गंध,
ठंडी ठंडी बर्फीली चाय का स्वाद।
गर्मी का स्वाद, सड़कों पर जलती धूप,
आग की तरह, जैसे कोई तपिश का रूप।
गर्मी की धड़कनें, पसीने की बू,
लेकिन उसके भीतर भी कुछ मीठी सी थी खुशबू।
आम के बौर और आम का स्वाद,
गर्मी में बसी एक अद्भुत याद।
फिर पतझड़ आता है, पत्तियाँ गिरती हैं,
उनमें बसी होती है एक पुरानी सी गंध।
सर्दी की महक, सूखे पत्तों की सोंधी,
बर्फ के आने की, एक शीतल सी गंध।
कद्दू की महक, मसाले की खुशबू,
सर्दी की हवा में बसी एक ताजगी।
प्यारे सूप, गरम पकवान,
पतझड़ की शाम में घुलते हैं खट्टे मीठे स्वाद।
सर्दियों में बर्फ की सफेदी,
एक ठंडक, जो मन में बसी रहती।
अलाव की गर्मी, हल्की सी सोंधी गंध,
सर्दी के मौसम में बसी चाय की महक।
शहद, अदरक, इलायची का स्वाद,
जो सर्दी में मिलता है हर दिन साथ।
सर्दी में छुपे होते हैं एक अनोखे ख्वाब,
जो महकते हैं, जैसे सूखी धूप में प्यास।
कभी-कभी लगता है कि उन सभी खुशबूओं को,
समेट कर रखूं अपने दिल में।
वसंत की महक, गर्मी का स्वाद,
पतझड़ का रंग, सर्दी की सर्द हवा।
ऋतुएं बदलती हैं, पर हर महक में,
किसी ना किसी याद का अक्स बसा रहता है।
मिट्टी की खुशबू, हवा की मिठास,
यह सब बन जाती है, हमारी जिंदगानी का अहसास।
हर मौसम में बसी होती है कुछ खट्टा-मीठा,
कभी धूप, कभी बारिश, कभी ठंडी सी रातें।
हर बदलाव में होता है एक नया स्वाद,
जैसे एक कहानी के नए रंग, नया आकाश।
वसंत की महक, गर्मी की चहचहाहट,
पतझड़ की ठंडी, सर्दी की गूंज।
ये सभी बदलाव, ये सभी यादें,
हमारे दिल में हमेशा बसी रहती हैं।
ऋतुओं का स्वाद, हर दिन नया होता है,
जो दिल को सुकून, एक प्यार सा देता है।
मैं उन महक और स्वाद को मिस याद करता हूं,
जो हर साल बदलते हुए मौसम में मिलता है।
अब बस रह गईं यादें उन पलों की,
जो ऋतुएं बयां करती थीं अपनी खूबसूरत कहानियाँ।
उनकी महक, उनका स्वाद, वो अनकहा अहसास,
जो दिल में बसा रहता है, जब तक हम रहें पास।
ऐसा लगता है कि हर मौसम के बदलाव में,
एक पुराना सा गुम हो गया अनुभव पाया है।
पर फिर भी, हर नए मौसम में,
वो यादें फिर से गूंज उठती हैं, फिर से आ जाती हैं।
वसंत में वो बसी खुशबू, गर्मी में वो मीठा स्वाद,
पतझड़ में वो ताजगी, सर्दी में वो गर्माहट।
इन सबकी यादें, जैसे जीवन की राह,
साथ चलती रहती हैं, हर मौसम के साथ।
मैं इन स्वादों और महक को याद करता हूं,
जो हर साल बदलते हैं, फिर भी रहते हैं साथ।
हर मौसम में बसी है एक अनोखी कहानी,
जो मेरी जिंदगी में हमेशा बनी रहती है, एक मीठी याद।
Comments
Post a Comment