सच कह रहा हूँ, ये दिल से बातें, चला जाऊँगा, छोड़ के एक दिन
सच कह रहा हूँ, ये दिल से बातें, चला जाऊँगा, छोड़ के एक दिन सारी रातें। तुम सोचोगी कि फिर कभी लौट आऊँगा, पर मैं नहीं रहूँगा, तुमसे दूर चला जाऊँगा।
मेरे शब्दों में जो दर्द छिपा है, वो तुम्हारे लिए एक सवाल बना है। कभी न समझ पाओगी तुम ये राज़, मैं जितना चाहूँगा, उतना दूर हो जाऊँगा, सच्चाई के साथ।
कभी खुद से पूछा था, क्या तुमसे बिछड़ पाऊँगा? पर अब दिल से कहता हूँ, नहीं रुक पाऊँगा। छोड़ दूँगा तुम्हें, जब समय आएगा, तुमसे जुदा होकर ही चैन आएगा।
जब मैंने कहा, "मैं नहीं रहूँगा," तो तुम हँसी थी, लेकिन ये सच है, तुम्हें अब पता चलेगा। कभी सोचा नहीं था कि ये पल भी आएगा, पर अब सच कह रहा हूँ, मेरा वक्त जुदा होगा।
तुमसे जुदाई का डर नहीं है मुझे, मुझे तो बस तुमसे मुक्ति चाहिए। यह कहने का समय आ चुका है, कि अब मैं तुमसे कभी न मिलूँगा।
कभी कभी लगता था कि तुमसे बिना जी लूँ, पर अब तो ये भी साफ है, मैं तुमसे दूर जाऊँगा। जितना चाहा, तुमसे जुड़े रहना, अब उतना ही और दूर चला जाऊँगा।
तुम सोचोगी कि क्या ये सच है? तुम चाहोगी कि मैं तुम्हारे पास रहूँ, पर सच्चाई यही है कि मैं तुम्हारे लिए नहीं हूँ, तुम मेरी राह में नहीं, मैं तुम्हारी राह में नहीं हूँ।
सच कह रहा हूँ, अब कुछ नहीं बदल सकता, तुम्हारी यादें भी मेरे साथ चल सकती हैं। पर मैं नहीं रहूँगा तुम्हारा, ये एक सच्चाई है, जो खुद को समझाना पड़ेगा।
आखिरकार, तुम्हें इस सच से जूझना होगा, ये दर्द भी तुम्हें सहना होगा। लेकिन जब तुम मुझे खो दोगी, तो तुम्हें एहसास होगा कि मैं कभी झूठ नहीं बोल रहा था।
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