मुन्‍ना का अधूरा सफर

 मुन्‍ना का अधूरा सफर


गांव का माहौल हमेशा से शांत और सरल रहा था। खेतों की हरियाली, पक्षियों का कलरव, और लोगों का एक-दूसरे के साथ जुड़ाव – ये सब गांव की खासियत थी। मुन्‍ना, एक साधारण और मेहनती युवक, अपने पिता के साथ खेतों में काम करता था और गांव की एक छोटी-सी दुकान भी संभालता था। करीब एक साल पहले ही उसकी शादी हुई थी। वह अपनी नई जिंदगी को लेकर उत्साहित था, लेकिन धीरे-धीरे चीजें बदलने लगीं।


शुरुआत में सब कुछ ठीक था। उसकी पत्नी, सुनीता, गांव की ही एक खूबसूरत और चंचल लड़की थी। मुन्‍ना उसे बहुत प्यार करता था और अपनी सीमित आमदनी में भी उसकी हर जरूरत को पूरा करने की कोशिश करता था। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, सुनीता की अपेक्षाएं बढ़ने लगीं। गांव के लोग मुन्‍ना का मजाक उड़ाते थे, कहते, "क्यों भाई, अभी तक शहर नहीं गया? यहां खेतों में और दुकान पर कितना कमा लेगा?"


इन तानों ने सुनीता को भी प्रभावित किया। वह अक्सर कहती, "गांव में कितनी जिंदगी जी लोगे? देखो, मेरे मायके के लोग सब बाहर जाकर काम करते हैं। शहर में पैसा है। यहां पर सिर्फ भूख और गरीबी है।"


मुन्‍ना इन तानों और शिकायतों से परेशान हो गया था। वह जानता था कि उसका परिवार उसकी आमदनी पर निर्भर था, लेकिन पत्नी की उम्मीदें और गांव वालों की बातें उसे कचोटती रहती थीं। आखिरकार, उसने फैसला किया कि वह दिल्ली जाएगा और वहां कुछ काम ढूंढेगा।


दिल्ली जाने का निर्णय


जब मुन्‍ना ने अपने पिता को यह बात बताई, तो वे हिचकिचाए। "बेटा, हम लोग गांव में ठीक हैं। यहां तू हमारे साथ काम कर लेता है। शहर की जिंदगी कठिन है।" लेकिन मुन्‍ना ने ठान लिया था। वह बोला, "पिता जी, अगर मैं शहर जाऊंगा, तो ज्यादा कमा सकूंगा। सुनीता भी खुश होगी और गांव वालों के ताने भी बंद हो जाएंगे।"


सुनीता ने भी उसका साथ दिया और उसे दिल्ली में रुकने के लिए एक पता दिया। उसने बताया कि यह उसके भाई का पता है। "वह तुम्हारी मदद करेगा," उसने मुन्‍ना से कहा।


मुन्‍ना अपने पिता और पत्नी से विदा लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो गया। जाते समय उसने वादा किया, "पिता जी, मैं जल्दी लौटूंगा और आपको गर्व महसूस कराऊंगा।"


सुनीता की वापसी


मुन्‍ना के दिल्ली जाने के बाद सुनीता ने अपने मायके जाने की बात कही। उसने कहा, "मैं कुछ दिन के लिए अपने माता-पिता से मिलने जा रही हूं।" सबने इसे सामान्य बात समझा। लेकिन आठ दिन बाद जब वह लौटी, तो उसकी आंखों में उदासी थी। वह अपने साथ ज्यादातर सामान लेकर आई और थोड़े ही समय में अपने मायके वापस लौट गई।


गांव के लोग यह देखकर हैरान थे। मुन्‍ना के माता-पिता ने जब उससे पूछा कि वह अपना सामान क्यों ले जा रही है, तो उसने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उन्होंने सोचा कि वह कुछ दिनों बाद वापस आ जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।


मुन्‍ना का गायब होना


इस बीच, दिल्ली में मुन्‍ना का अपने घरवालों से संपर्क टूट गया। उसके पिता ने कई बार उससे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। हर दिन इंतजार और चिंता बढ़ती जा रही थी।


गांव में लोग बातें बनाने लगे। किसी ने कहा, "शहर गया है, वहां की चकाचौंध में खो गया होगा।" किसी ने कहा, "मुन्‍ना जैसा सीधा लड़का शहर की जिंदगी नहीं झेल सकता।" लेकिन कुछ लोग फुसफुसाते हुए कहते, "यह सब सुनीता और उसके प्रेमी की चाल थी।"


धीरे-धीरे सच सामने आने लगा। सुनीता का प्रेमी, जिसका नाम अमित था, दिल्ली में रहता था। कुछ लोगों ने बताया कि सुनीता ने मुन्‍ना को जो पता दिया था, वह उसी अमित का था। यह सुनकर मुन्‍ना के पिता का दिल बैठ गया।


साजिश का खुलासा


गांव के लोग यह चर्चा करने लगे कि यह सब सुनीता और उसके प्रेमी की सोची-समझी चाल थी। सुनीता ने मुन्‍ना को अमित के पते पर इसलिए भेजा ताकि अमित उसे अपने रास्ते से हटा सके। मुन्‍ना की मासूमियत और सीधापन उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बन गया।


जब मुन्‍ना के पिता को यह बात पता चली, तो उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। लेकिन पुलिस का रवैया उदासीन था। उन्होंने कहा, "दिल्ली जैसे बड़े शहर में किसी को ढूंढना आसान नहीं है। हमें ठोस सबूत चाहिए।"


मुन्‍ना के पिता ने खुद दिल्ली जाने की कोशिश की, लेकिन उनकी उम्र और हालात ने उन्हें रोक दिया। धीरे-धीरे उनके भीतर का दर्द और चिंता उन्हें खा गई। वे गुमसुम रहने लगे और मानसिक रूप से अस्थिर हो गए।


मुन्‍ना का अंतहीन इंतजार


गांव में अब भी कोई मुन्‍ना का इंतजार करता था। उसकी मां हर दिन आस लगाती कि उसका बेटा वापस लौट आएगा। लेकिन वह इंतजार कभी खत्म नहीं हुआ। सुनीता ने कभी सच नहीं बताया, और अमित ने गांव आना बंद कर दिया।


गांव के लोग आज भी मुन्‍ना की कहानी को याद करते हैं। वे कहते हैं कि उसका परिवार पूरी तरह से बर्बाद हो गया। उसका घर, जो कभी खुशियों से भरा रहता था, अब वीरान हो गया है। मुन्‍ना का पिता पागलपन की स्थिति में पहुंच गया, और उसकी मां का स्वास्थ्य धीरे-धीरे गिरता गया।


यह कहानी न सिर्फ मुन्‍ना की, बल्कि हर उस व्यक्ति की है जो अपनी सादगी और मासूमियत के कारण धोखे का शिकार बनता है। मुन्‍ना की जिंदगी का सफर अधूरा रह गया, और उसके परिवार की दुनिया हमेशा के लिए बदल गई।



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यह कहानी एक गहरी सीख देती है कि हमें अपने फैसले सोच-समझकर लेने चाहिए और भरोसे के मामलों में सतर्क रहना चाहिए।


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