मत कर प्यार मुझसे... (2)
मत कर प्यार मुझसे,
मैं भी गर्दिशों में खो जाऊंगा।
मैं भी चला जाऊंगा एक दिन,
मैं भी खो जाऊंगा एक दिन।
मेरा भी सफर अधूरा है,
मंज़िलों का पता नहीं है।
जो सपने मेरे पलकों पर हैं,
उनका कोई साक्षी नहीं है।
तू जो उम्मीदें लगाए मुझसे,
वो तेरी राहों में टूट जाएंगी।
मैं वो चिराग़ हूं जो बुझते-बुझते,
तेरी रातों को और जलाएंगी।
मेरे दिल की कहानी अधूरी है,
इसके हर पन्ने पर धूल जमी है।
जो समझे इसे वो खुद खो जाए,
ये रहस्य तो मुझसे भी छुपी है।
मत कर आस मुझसे मिलने की,
मैं भी अपने आप से दूर हूं।
हर दिन खुद को ढूंढता हूं,
जैसे कोई खोया हुआ नूर हूं।
तेरा साथ भी, तेरा प्यार भी,
मुझे इस भटकन से न बचा पाएगा।
मैं वो मुसाफिर हूं जो हर रास्ते पर,
खुद से दूर और दूर जाएगा।
तू जो मुझे थामना चाहे,
मैं रेत की तरह फिसल जाऊंगा।
तेरी हथेली की लकीरों में,
मैं एक दरार बन जाऊंगा।
इसलिए मत कर प्यार मुझसे,
मैं तुझसे वादा निभा न पाऊंगा।
तेरी दुनिया का हिस्सा बनकर भी,
तुझे कभी अपना बना न पाऊंगा।
मैं भी चला जाऊंगा एक दिन,
गुमनाम हवाओं के साथ कहीं।
मेरे कदमों के निशान भी मिट जाएंगे,
तेरी आँखों की राहों से यहीं।
मत कर प्यार मुझसे,
मैं भी गर्दिशों में खो जाऊंगा।
मैं भी चला जाऊंगा एक दिन,
मैं भी खो जाऊंगा एक दिन।
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