अब मेरे उम्र को कोई बचा नहीं

अब मेरे उम्र को कोई बचा नहीं,

मेरे उम्र के साथी सब चल बसे कहीं।

जिनके संग बिताए थे जीवन के पल,

वो सारे चेहरे हुए धुंधले और हल।


अजीब सी तनहाई है इस जीवन में,

जैसे बिछड़ गए हों सभी अपने क्षण में।

खुशियों का वो कारवां कहीं खो गया,

अब तो जीवन का हर दिन सूना हो गया।


यादें कभी सहारा बनकर आती हैं,

तो कभी दर्द के सागर में डुबाती हैं।

जिनके साथ हंसी-ठिठोली थी की,

वो सब परछाइयां बनकर बिखर गईं।


एक उम्र के बाद जिंदगी थम जाती है,

हर सांस जैसे कोई भारी बोझ लाती है।

न कोई नई उम्मीद, न कोई नया ख्वाब,

बस बीते दिनों की यादें बन गई हैं जवाब।


कभी जीवन का हर पल रोशन था,

हर एक सुबह का सूरज अनमोल था।

अब तो हर शाम गहरी और लंबी लगती है,

जैसे रात भी दिल से बातें करती है।


इस तनहाई में अक्सर सवाल उठते हैं,

क्या सब यही जीवन के अंत के पथ हैं?

क्यों रिश्ते धीरे-धीरे दूर हो जाते हैं,

क्यों अपनों के संग सपने टूट जाते हैं?


खुद से बातें करता हूं इस वीराने में,

जैसे कोई साथी हो मेरी परछाई में।

हर लम्हा खुद को समझाता हूं,

बीते दिनों की तस्वीरें बनाता हूं।


यह उम्र एक दस्तावेज़ बनकर रह गई है,

जहां हर पन्ना बीते कल को कह गई है।

पर अब वो शब्द भी धुंधले हो रहे हैं,

जैसे वक्त के हाथों सभी मिट रहे हैं।


जिंदगी अब एक भारी किताब है,

जिसमें अधूरी कहानियों का हिसाब है।

कभी लगता है पन्ने पलट दूं,

पर हर मोड़ पर वही दर्द झलक दूं।


अब इस बोझ को सहते-सहते जीता हूं,

खुद के ही साये से बातें करता हूं।

कोई हंसी, कोई गीत कहीं दूर छूट गया,

जैसे समय का सारा संगीत रूठ गया।


पर फिर भी सांसें चलती रहती हैं,

आसमान को देख उम्मीदें बहती हैं।

शायद कोई रोशनी कहीं दूर हो,

जो इस अंधेरे में फिर से सूरज बोए।


अब मेरे उम्र को कोई बचा नहीं,

मेरे उम्र के साथी सब चल बसे कहीं।

पर इस सफर को खत्म होने से पहले,

कुछ और लम्हे जीने की दुआ दिल कहे।


पर इस सफर को खत्म होने से पहले,

कुछ और लम्हे जीने की दुआ दिल कहे।

शायद किसी मोड़ पर मिल जाए सुकून,

जहां बिछड़े अपने बन जाएं जूनून।


जीवन का हर पल कुछ सिखाता है,

दर्द के साथ भी एक रास्ता दिखाता है।

शायद यही है प्रकृति का विधान,

जहां हर अंत से जुड़ा है कोई नया अरमान।


आज अकेला हूं, पर मन में आस बाकी है,

दूर उस छोर पर कोई प्रकाश बाकी है।

जहां जिंदगी फिर से खिलखिला सके,

और मेरे मन के खालीपन को मिटा सके।


हर कदम पर यादें साथ चलती हैं,

पर उनकी मिठास अब भी बहलती है।

जो बीता, वो बीत गया समय के संग,

पर नई शुरुआत के लिए दिल करे जंग।


अब मेरे उम्र को कोई बचा नहीं,

पर उम्मीद के दीप जलाना अभी बाकी है कहीं।

जीवन का अर्थ खोजने चला हूं,

अपने बचे लम्हों को खूबसूरत बना रहा हूं।


हर सांस में एक गीत फिर गुनगुनाता हूं,

अपने अकेलेपन से संवाद कर पाता हूं।

जिंदगी चाहे बोझ ही क्यों न लगे,

उसके हर पल को अब संजोता हूं बड़े प्रेम से।


यही तो जीवन है—एक यात्रा कठिन,

जहां हर मुसाफिर को मिलते हैं गम और रसभिन।

फिर भी, चलना है, चाहे रास्ते टूटे,

हर दर्द के पार भी सपनों के दरवाजे छूटे।

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