मैं हूँ तो हूँ
तुझे क्या
तू है तो है
मुझे क्या
रोशनी तो सबको मिलती है
तुझे सूरज क्यों चाहिए
खुदा तो सबका है
तुझे मुसलमान क्यों बनना है
मिट्टी तो सबकी है
तुझे कब्ज़ा क्यों चाहिए
देश तो सबका है
तुझे हुकूमत क्यों चाहिए...
रूपेश रंजन
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