लेके मेरी आबरू, मुझे चाँद कहते हो।
लेके मेरी आबरू,
मुझे चाँद कहते हो।
जैसे दिल में आग हो,
फिर भी शांत कहते हो।
जख़्म देकर हँसते हो,
फिर मलहम रखते हो।
छलके मेरे आँसू जो,
उन्हें बरसात कहते हो।
रात के अंधेरों में,
तन्हाई बाँटते हो।
फिर अपनी हर ख़ता को,
मेरा ही साथ कहते हो।
सच से जो दूर हो,
खुद को साफ़ कहते हो।
लेके मेरी आबरू,
मुझे चाँद कहते हो।
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