मैं भी चला जाऊंगा...
मैं भी चला जाऊंगा एक दिन,
सब कुछ छोड़कर, सब रिश्ते तोड़कर।
जिन राहों पर चलकर सपने बुने,
उन्हें पीछे कहीं छोड़कर।
इश्वर के आँगन में जब कदम रखूंगा,
उनकी आँखों में अश्रु छलकेंगे।
वो भी व्यथित होंगे मेरे जाने पर,
पर सत्य के आगे मौन रहेंगे।
यह सत्य जो अटल है,
जिसे कोई नहीं बदल सकता।
हर जीवन को एक दिन,
मृत्यु का आलिंगन करना पड़ता।
जिन रिश्तों को जी-जान से सींचा,
जिन चेहरों में अपनापन देखा।
वो सब पीछे छूट जाएंगे,
और मैं समय में खो जाऊंगा।
इश्वर कहेंगे, "यह जीवन चक्र है,
हर जीव को इसे समझना पड़ता है।
जन्म और मृत्यु का यह बंधन,
हर आत्मा का अंतिम सत्य है।"
मैं भी सिर झुकाकर मान जाऊंगा,
उनकी बातें सुनकर मुस्काऊंगा।
पर दिल में वो टीस जरूर होगी,
जो अपनों को छोड़ने की याद लाएगी।
पर यही है नियम, यही है सत्य,
जिसे न कोई टाल सकता है, न बदल सकता है।
हर सांस को जिया था मैंने,
हर पल को पकड़ा था अपने दिल से।
तो जब विदा की घड़ी आएगी,
मैं शांति से उसे स्वीकार करूंगा।
जिनसे प्यार किया, उनकी यादें लेकर,
मैं इश्वर के चरणों में समर्पित हो जाऊंगा।
यह जीवन की कड़वी सच्चाई है,
कि हर किसी को जाना होता है।
पर जो छाप हम छोड़ जाएं,
वो हमारे होने का प्रमाण होता है।
मैं भी चला जाऊंगा एक दिन,
सब कुछ छोड़कर, सब बातें मौन कर।
पर मेरी यादें रहेंगी जीवित,
उन दिलों में, जिन्हें मैंने स्नेह दिया।
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