तुम बहुत कुछ भूल गये होगे...

तुम्हारे लिए बहुत कुछ बदल गया होगा

तुम बहुत कुछ भूल गये होगे

नया साल जो आ रहा है

खून के धब्बे साफ कर दिये जायेंगे

खून से सने कपड़े फेंक दिये जायेंगे

कान को सिहरा देने वाले चित्कार अब सुनायी नहीं देंगे

नया साल है न

माँ बाप के पुराने दिल को निकाल कर नये दिल को लगा दिया जायेगा

उन्हें कहा जाएगा कि नए साल में पुरानी बेटी को भूल जाना चाहिए

हम अपनी आंखों को नए साल में बदल लेंगे

ताकी वो चित्र हमारे आखों के सामने उभर के ना आये

नया साल है न

सब कुछ भूल जायेंगे

और फिर से सब कुछ नया देखेंगे और सुनेंगे

पुरानी आदत है हमारी

सब कुछ भूल जाने की

मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है

मैं भूल नहीं पा रहा हूँ

मेरा नया साल नहीं आएगा

मुझे शर्म आ रही है

बेशर्मी के लिबास में नए साल का जश्न नहीं मना पाऊंगा... 

रूपेश रंजन

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