अगर ये चली गई तो मेरा क्या होगा...
अगर ये चली गई तो मेरा क्या होगा,
इस दिल के वीराने में कौन बसेरा होगा।
जो हंसी से भर दे हर सूना कोना,
उसके बिना हर लम्हा अधूरा होगा।
उसकी बातें, उसकी मुस्कान, उसकी जादू,
जैसे बहारों में चुपके से खिलता हुआ ग़ुलाब हो।
अगर ये चली गई तो मेरा क्या होगा,
ये दिल सिर्फ़ यादों का कैदी होगा।
और वो चली गई मुझे छोड़ के
हाँ वो चली गई मुझे छोड़ के,
हर ख्वाब जैसे टूटकर बिखर गया।
चांदनी रातों का सारा नूर लूटकर,
अंधेरों का समंदर मुझ पर उतर गया।
वो कहती रही, "सफ़र हमारा यहीं तक,"
पर मैं हर मोड़ पर खड़ा रह गया।
आँखों से बहते आंसू पूछते हैं सवाल,
क्या हमारी मोहब्बत इतनी भी कमजोर थी, जो टूट गई?
अगर ये चली गई तो मेरा क्या होगा,
और वो चली गई, मुझे छोड़ के।
दिल के इस वीराने में अब कौन रहेगा,
बस उसकी यादों का एक साया रहेगा।
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