मैं तुझसे यूँ ही प्यार करता रहूँगा...
मैं तुझसे यूँ ही प्यार करता रहूँगा
जब छाएगी शाम और तारे चमकेंगे,
वक़्त की रेत पर पल महकेंगे,
हर सुबह, हर आकाश की धुंधलाहट में,
मैं तुझसे यूँ ही प्यार करता रहूँगा।
जब नदियाँ पर्वतों को चीर जाएंगी,
और सागर चाँद की ओर झुक जाएंगे,
फिर भी हर पल, हर क्षण के रंग में,
मैं तुझसे यूँ ही प्यार करता रहूँगा।
जब खामोशी दुनिया को थाम लेगी,
और बेचैन हवा थक कर रुक जाएगी,
झूठे समय के हर छलावे में भी,
मैं तुझसे यूँ ही प्यार करता रहूँगा।
भले ही वर्षों की आंधी जवानी छीन ले,
और मुश्किलों में जीवन कहीं बीन ले,
हर तूफ़ान के बीच, हर सफ़र में,
मैं तुझसे यूँ ही प्यार करता रहूँगा।
जब इस दुनिया का अंत हो जाएगा,
और सपनों का सूरज भी डूब जाएगा,
अनंत काल तक, सच्चे स्वर में,
"मैं तुझसे यूँ ही प्यार करता रहूँगा।"
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