हमाम में तो सब नंगे थे...

हमाम में तो सब नंगे थे

मैंने कुछ को देखा

कुछ को नहीं


जिन्हे देख पाया

वो सिर्फ अपने थे

जिन्हे नहीं देख पाया

वो किसी और के थे


कोशिश की थी 

सबको देखने की

मसलन हवा मेरी मर्जी से नहीं बहती है

हवा का रुख़ ख़ुदा तय करते है


तू इंसान

परदे की बात मत कर

लोग वहाँ भी पर्दा करते हैं

जहां बेपर्दा होने जाते हैं... 

रूपेश रंजन

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