मेरी शादी हो गई, अब मुझे कुछ याद नहीं....
मेरी शादी हो गई, अब मुझे कुछ याद नहीं,
पर दिल के किसी कोने में वो बात बाकी सही।
कैसे कर पाते हैं ये लोग, भुला देते हैं सब,
मैं तो अब भी बसा हूं उन पुरानी राहों में कहीं।
रूह से जो जुड़ा था, वो कैसे निकालूं मैं,
उसकी महक अब तक सांसों में संभालूं मैं।
वक्त के साथ जो मिट जाए वो प्यार कैसा,
पर मैं आज भी उसी एहसास को पालूं मैं।
उसकी हंसी, वो बातें, वो नज़रों का खुमार,
सब अब भी बसा है मेरे दिल के द्वार।
कहते हैं नई ज़िंदगी को गले लगाओ,
पर वो खुशबू अब तक है मेरी हर सांस के पार।
शादी के बंधन में बंधा, पर रूह आजाद नहीं,
उसकी यादों से दिल अब तक आबाद सही।
कैसे करते हैं ये लोग, मुझे अब तक समझ न आया,
कि बीते हुए पल को दिल से निकाल पाते कहीं।
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