वो बीत गए, अब याद नहीं...

वो बीत गए, अब याद नहीं,

कभी जो अपने थे, अब साथ नहीं।

वो चेहरे, वो लम्हे, वो बातें पुरानी,

जैसे धुंधली हो गई कोई कहानी।


कभी दिल से जुड़े थे, आज दूर हैं,

उनकी यादों के निशां अब मुझसे दूर हैं।

वक्त ने धो दिया हर लफ्ज़ का निशान,

जो था कभी अपना, अब है अनजान।


फिर कुछ और मिले, वो भी खो गए,

नई राहों में चलते-चलते कहीं सो गए।

जो अपने लगे थे, पराए बन गए,

जिंदगी के सफर में वो भी पीछे रह गए।


अब जो आएंगे, शायद वो भी जाएंगे,

यादों के सफर से वो भी मिट जाएंगे।

दिल ने सीखा है अब भूलना हर बार,

हर नए रिश्ते का होगा वही अखबार।


जब कुछ भी पास नहीं रहेगा,

बस ये तन खाली सासें लेगा।

सबकुछ छोड़, मैं भी चला जाऊंगा,

इस दुनिया से अपना हर नाता भुलाऊंगा।


फिर न कोई याद, न कोई निशानी,

बस रह जाएगी समय की कहानी।

मैं भी मिट जाऊंगा इस ज़मीं से,

जैसे ओस मिटती है सुबह की लहर से।


यादों का ये खेल हर रोज चलेगा,

हर नया रिश्ता धीरे-धीरे पिघलेगा।

जो भी पास है, सब छूट जाएगा,

आखिर में सिर्फ सन्नाटा रह जाएगा।


तो क्यों रोकूं खुद को इस दौर से,

क्यों बांधूं दिल को किसी और के।

जो आएंगे, जाएंगे, ये तय है,

हर नाम समय के साथ धुंधला है।


मैं रुख़्सत हो जाऊंगा, सबकुछ भुलाकर,

न कोई गम, न कोई खुशी साथ रखकर।

जिंदगी के इस चक्र को समझ लिया,

अब सबकुछ भूलने को खुद तैयार किया।


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