एक आहट होती है...
एक आहट होती है,
और दिल में दर्द का तूफ़ान उठ जाता है।
खामोशी की चादर में छुपा,
हर ज़ख्म फिर से खुल जाता है।
यादों के वो सूने गलियारे,
जिन्हें भुलाने की कोशिश थी।
वो पुराने किस्से, अधूरी बातें,
सब पल में लौट आते हैं।
आँखों से अश्क गिरते हैं,
पर मन हल्का नहीं होता।
हर लम्हा जैसे कोई साया,
चुपचाप दिल को चीरता।
एक आहट होती है,
और उम्मीदों का घर ढह जाता है।
टूटे सपनों की किरचें,
जैसे रूह में चुभ जाती हैं।
क्यों हर बार यही होता है,
जो अपना लगता है, वो दूर हो जाता है।
जिनके लिए दिल धड़कता है,
वो दर्द बनकर रह जाता है।
सवालों का सैलाब है,
पर जवाब कहीं नहीं मिलता।
हर आहट जैसे तानों की गूंज,
जो दिल को और छलनी करता।
एक आहट होती है,
और सन्नाटे चीख बन जाते हैं।
वो हंसती तस्वीरें, मीठी बातें,
अब बस ख्वाब बनकर रह जाती हैं।
दिल के वीराने में बस,
खुद से लड़ने का शोर है।
हर आहट जैसे एक नया धक्का,
जो खुदी को और तोड़ देता है।
पर शायद यही जिंदगी है,
दर्द से भरी, पर सीख देती है।
हर आहट के बाद, एक उम्मीद,
जो नए सफर की शुरुआत करती है।
एक आहट होती है,
और दिल संभलने की कोशिश करता है।
हर दर्द में छुपी एक सीख,
शायद यही हमें मजबूत बनाता है।
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