खो दिया था तुम्हें, फिर से पा लूंगा...

खो दिया था तुम्हें, उस मोड़ की राहों में,
जहां साथ छूटा, खामोश निगाहों में।
वक्त के थपेड़े, दिल को रुलाते रहे,
तेरी यादें चुपके से दिल को सताते रहे।

आसमान ने पूछा, क्यों टूटे हो ऐसे?
चांद ने कहा, दिल बहलाओ पर हंसे।
पर ये दिल अड़ा था, उम्मीद लगाए,
तेरी तस्वीर को पलकों में छुपाए।

हर गली, हर शहर, तेरा अक्स ढूंढा,
तेरी खुशबू से मैंने हर कोना सूंघा।
जमीं पर बिछा दीं ख्वाबों की चादरें,
तेरे नाम के लिए कर दीं सारी हसरतें।

तेरी हंसी का जादू, अब भी है दिल पर,
तेरे प्यार का रिश्ता है अमिट हर पल।
खो दिया था तुम्हें, पर हार मानूं क्यों?
तेरे बिना जीना अधूरा, सांस लूं क्यों?

सूरज की पहली किरण से वादा लिया है,
तेरे लौटने तक राहों में दीप जलाया है।
वक्त भले रूठे, पर मैं रुकूंगा नहीं,
तेरे प्यार का सपना कभी मिटेगा नहीं।

फिर से पाऊंगा तुम्हें, ये वादा किया है,
हर मुश्किल से लड़कर तुझे जिया है।
खो दिया था तुम्हें, पर प्यार अमर होगा,
मिलन का गीत, फिर से मुखर होगा।

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